Common Wealth Games: Players of Haryana are winning gold for the country
सत्य खबर, चंडीगढ़
बर्मिंघम में 22वें राष्ट्रमंडल खेल खेले जा रहे हैं. 1934 में लंदन और 2002 में मैनचेस्टर के बाद तीसरी बार इंग्लैंड में कॉमनवेल्थ गेम्स खेले जा रहे हैं. भारत में भी एक बार साल 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजित हो चुके हैं और कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में भारत ने सबसे बेहतर प्रदर्शन साल 2010 में ही किया था. दिल्ली में आयोजित हुए 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने 39 गोल्ड मेडल जीते थे. गोल्ड के अलावा भारत की झोली में 26 सिल्वर और 36 ब्रॉन्ज मेडल सहित कुल 101 मेडल आए थे. इस बार बर्मिंघम में खेले जा रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भी भारतीय खिलाड़ियों से बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद है.
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कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के पहलवानों ने शुक्रवार को लठ गाड़ दिया। रेसलिंग में बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक और दीपक पूनिया और पैरा पावर लिफ्टिंग में सोनीपत के लाठ गांव के सुधीर ढ़ोचक ने गोल्ड जीता। वहीं अंशु मलिक ने सिल्वर और मोहित ग्रेवाल ने ब्रॉन्ज मेडल लिया। सीएम मनोहर लाल ने विजेता खिलाड़ियों को बधाई दी है। कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के 43 खिलाड़ी विभिन्न खेलों में भाग ले रहे हैं। अब तक 7 स्वर्ण समेत 21 मेडल हरियाणा की झोली में आ गए हैं। वर्ष 2018 के कॉमनवेल्थ में प्रदेश के खिलाड़ियों ने 22 पदक जीते थे। इस बार यह पिछला रिकॉर्ड टूटने वाला है।
जानें अब तक बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के पदकवीरों के बारे में
9 स्वर्णः मीराबाई चानू, जेरेमी लालरिनुंगा, अंचिता शेउली, महिला लॉन बॉल टीम, टेबल टेनिस पुरुष टीम, सुधीर (पावर लिफ्टिंग), बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, दीपक पूनिया।
8 रजतः संकेत सरगरी, बिंदियारानी देवी, सुशीला देवी, विकास ठाकुर, भारतीय बैडमिंटन टीम, तूलिका मान, मुरली श्रीशंकर, अंशु मलिक।
9 कांस्यः गुरुराजा पुजारी, विजय कुमार यादव, हरजिंदर कौर, लवप्रीत सिंह, सौरव घोषाल, गुरदीप सिंह, तेजस्विन शंकर, दिव्या काकरन, मोहित ग्रेवाल।
आठवें दिन भारत का प्रदर्शन
पहलवान बजरंग ने दिखाया बल, जीता सोना
पहलवान साक्षी मलिक ने रचा इतिहास, स्वर्ण पदक अपने नाम किया
पहलवान दीपक पूनिया ने पाकिस्तानी पहलवान को चित कर जीता स्वर्ण
पहलवान अंशु मलिक ने जीता रजत पदक
पहलवान दिव्या काकरन ने जीता कांस्य
पहलवान मोहित ग्रेवाल ने भी कांस्य पदक जीता
2018 कॉमनवेल्थ गेम्स की गोल्ड मेडलिस्ट मनिका बत्रा बाहर
हिमा दास 200 मीटर स्प्रिंट के फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर सकीं
भारतीय महिला हॉकी टीम सेमीफाइनल में हारी
भारतीय पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना का मेडल पक्का
भारतीय रिले टीम फाइनल में
शरत कमल प्री- क्वार्टर फाइनल में पहुंचे
लॉन बॉल्स में भारत फाइनल में पहुंचा
बजरंग ने जीता सोना
सोनीपत के रेसलर बजरंग पूनिया पर हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे देश की निगाहे टीकी हुई थी। रात 10 बजे के करीब मुकाबला हुआ तो कुछ मिनटों में उसने गोल्ड वाली पटकनी दे दी। बजरंग पूनिया ने पुरुषों के 65 KG फ्रीस्टाइल के फाइनल में कनाडा के लचलान मैकनील को 9-2 से मात दी है। इससे पहले दिन में उन्होंने सेमीफाइनल मुकाबले में इंग्लैंड के जॉर्ज रैम को 10-0 से हराया था। मॉडल टाउन में उसके पिता और परिवार के अन्य सदस्यों की भी मैच पर निगाहें थी। पिता बलवंत सिंह ने कहा कि पूरा विश्वास था कि इस बार बेटा गोल्ड ही लाएगा। पूरी तैयारी के साथ गया था। कोई दबाव नहीं था और हर मुकाबला अच्छे से खेला। भाई हरेंद्र ने मिठाई बांटी।
साक्षी मलिक ने रचा इतिहास
रोहतक की रेसलर साक्षी मलिक शुक्रवार को दो मुकाबलों के लिए उतरी और दोनों में विजेता रहे कर देश को गोल्ड दिलाया। साक्षी मलिक तीसरी बार कॉमनवेल्थ गेम्स में गई है। रोहतक की नई अनाज मंडी के पास सुनारिया चौक स्थित साक्षी मलिक की ससुराल में उसके पति, परिवार के बाकी सदस्यों और आस पड़ोस के लोगों ने TV पर लाइव मैच देखा। साक्षी के दांव-पेच और जीत के साथ पूरा घर तालियों से गूंजता रहा। पति अर्जुन अवार्डी सत्यव्रत कादियान ने कहा कि कॉमनवेल्थ में गोल्ड जीतना साक्षी का सपना था और यह सच हो गया है। उन्हें नहीं लगता था कि इस बार कोई अड़चन उनकी राह में आएगी। अब वे साक्षी के स्वागत की तैयारी करेंगे।
दीपक पूनिया ने पाकिस्तान के पहलवान को चित किया
रेसलिंग में हरियाणा के झज्जर जिले के गांव छारा निवासी दीपक पूनिया ने स्वर्ण पदक देश की झोली में डाला। दीपक पूनिया ने 86 किग्रा. फ्री-स्टाइल कुश्ती में पाकिस्तान के मोहम्मद इनाम बट्ट को 3-0 से मात दी। पूरे मैच में दीपक पूनिया हावी नज़र आए और पाकिस्तानी रेसलर थके हुए से दिखाई दिए। तोक्यो ओलिंपिक में सैन मारिनो के पहलवान माइलेस नाजिम अमीन ने पूनिया की पदक की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था। पदक चूकने से वह एकदम टूट से गए थे। हाल ही में एशियन चैम्पियनशिप में भी पूनिया गोल्ड से चूके थे। मगर अब सारी कसर पूरी कर ली। दीपक के पिता सुभाष पूनिया एक डेयरी किसान हैं। वे ही दीपक को दंगल में ले जाते थे। दीपक ने अपने कुश्ती करियर की शुरुआत पांच साल की उम्र में अपने गृहनगर अर्जुन अवार्डी वीरेंद्र सिंह छारा के नेतृत्व वाले एक अखाड़े में की थी। पिता अब कॉमनवेल्थ में बेटे के गोल्ड लाने पर फूला नहीं समा रहे।
सुधीर ने पिता के नाम किया मेडल
कॉमनवेल्थ गेम में सोनीपत के पैरा खिलाड़ी सुधीर मलिक लाठ ने पावर लिफ्टिंग में देश को गोल्ड दिलाया है। जींद में पावर लिफ्टिंग के सीनियर कोच सुधीर ने जीत के बाद अपना मेडल पिता राजबीर सिंह के नाम किया। पूरे परिवार को खुशी के बीच एक गम यह है कि सुधीर के पिता बेटे को ऊंचाइयों पर नहीं देख पाए। 2018 में एशियन गेम में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद सुधीर के घर लौटने से 3 दिन पहले ही उनकी मौत हो गई थी। वे CISF से रिटायर्ड थे। बेटे के गोल्ड जीतने से खुश मां सुमित्रा ने कहा कि बेटे ने कहा था कि घर से जा रहा हूं तो खाली हाथ नहीं आऊंगा। BA में पढ़ रहे छोटे भाई साहिल ने कहा कि भाई ने जमकर तैयारी की थी। पिछले कई सालों से देश में उनके मुकाबले का कोई खिलाड़ी नहीं था। सुधीर वर्ष 2017 में वर्ल्ड गेम और 2018 में एशियन गेम में मेडलिस्ट है। सुधीर लाठ पूरी तैयारी के बावजूद वर्ष 2020 में ओलिंपिक के लिए चूक गए। कोरोना की वजह से वे ओलिंपिक के लिए हुए ट्रायल में भाग नहीं ले पाए थे। इसके चलते वे कुछ दिन मायूस रहे, लेकिन फिर से पूरी ताकत के साथ सोनीपत साई में अगले मुकाबलों की तैयारी में जुट गए थे। पिछले कुछ सालों में जो भी प्रतियोगिताएं हुई हैं, वे उसमें जीत कर ही लौटे।
अंशु मलिक ने जीता रजत पदक
जींद के गांव निडानी की रेसलर अंशु मलिक मात्र 21 वर्ष की हैं। वे पहली बार कॉमनवेल्थ में खेलने गई और सिल्वर मेडल लेकर लौटी हैं। अंशु मलिक ने जहां पहले दो मुकाबले बड़ी आसानी से और मात्र 64 सेकंड में जीते। वहीं फाइनल में नाइजीरिया की ओदुनायो उनके लिए चुनौती रही। ओदुनायो ने 2018 कॉमनवेल्थ में भी भारत की पूजा डांढ़ा को हरा कर स्वर्ण पदक जीता था। वहीं, 2014 गेम में ओदुनायो ने भारत की ही ललिता सेहरावत को हराया था। लगातार तीसरे कॉमनवेल्थ गेम में उन्होंने भारत के पहनवान को हराया। अंशु भी फाइनल में हार के बाद रोने लगी। अंशु मलिक 2018 के टोक्यो ओलिंपिक में पहले ही राउंड में हार गई थी। इससे उसका हौसला कम नहीं हुआ, बल्कि वह और अधिक मेहनत करने लगीं। अंशु मलिक ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिए लखनऊ में तैयारी की। उनके पिता धर्मवीर मलिक भी अंतरराष्ट्रीय पहलवान रह चुके हैं। उनके चाचा पवन मलिक तो दक्षिण एशियाई खेलों के गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। अंशु का छोटा भाई शुभम भी पहलवानी करता है।
मोहित ग्रेवाल ने भी कांस्य पदक जीता
भिवानी के गांव बामला के रहने वाले मोहित ग्रेवाल वर्ष 2013 में अखाड़े में उतरे और वर्ष 2016 में तब चर्चा में आए जबकि वे तुर्की में वर्ल्ड स्कूल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत कर लौटे। शुक्रवार को उन्होंने अपने पहले ही कॉमनवेल्थ गेम में ब्रॉन्ज मेडल झटका। ब्रॉन्ज मेडल के बाद मोहित ने कहा कि उनकी तैयारी गोल्ड की थी, लेकिन कांस्य मिला है। अगली बार मेरा टारगेट गोल्ड ही रहेगा और लेकर आऊंगा। मैंने ठान लिया था कि भारत के लिए मेडल ज़रूर लेकर जाना है। मैं एशियन गेम्स के लिए तैयारी करूंगा। ब्रॉन्ज मेडल के लिए मोहित का मुकाबला 125 किग्रा कुश्ती में जमैका के पहलवान आरोन जॉनसन से हुआ और मुकाबला 6-0 से जीता। 2018 जूनियर एशियाई चैंपियनशिप में मोहित ग्रेवाल ने कांस्य पदक जीता था। घुटने की चोट के कारण उन्होंने 2019 और 2020 में किसी भी चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं लिया। इस दौरान उन्हें कुश्ती से कुछ दिनों के लिए अलग होना पड़ा।
सीएम मनोहर लाल ने दी बधाई
कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के खिलाड़ियों के पदक जीतने से मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी खुश हैं। उन्होंने शुक्रवार को हर खिलाड़ी की जीत के बाद ट्वीट कर उनको बधाई दी। उन्होंने लिखा कि हरियाणा के पहलवानों ने इंग्लैंड में दिखाया हिंदुस्तान का दम! म्हारे धाकड़ पहलवान बजरंग पूनिया को स्वर्ण पदक और महिला पहलवान अंशु मलिक को रजत पदक जीतने पर अनंत बधाई एवं शुभकामनाएं। मुख्यमंत्री ने इसी प्रकार साक्षी मलिक की जीत पर लिखा कि गर्व का पल है। हरियाणा की बेटी, महिला पहलवान साक्षी मलिक ने भारत को 8वां स्वर्ण दिलाकर पूरे विश्व में देश के झंडे को ऊंचा किया है। बेटी साक्षी और सभी हरियाणा वासियों को ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं।
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