शुभकरण सिंह के परिवार को एक करोड़ का मुआवजा
सत्य खबर/नई दिल्ली:
दिल्ली कूच को लेकर 13 फरवरी से ही किसानों का एक बड़ा समूह पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटा हुआ है. पिछले कुछ दिनों में हरियाणा पुलिस और किसानों के बीच कई हिंसक झड़पें हुई हैं, जिसमें दोनों पक्षों के लोग घायल हुए हैं. बुधवार को खनौरी बॉर्डर पर धरने में शामिल पंजाब के युवा किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई. पंजाब सरकार ने मृतक किसान के परिवार की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है.
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुभकरण के परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है. शुभकरण अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति था, इसलिए उसकी छोटी बहन को सरकारी नौकरी देने का फैसला किया गया है। इस बात की जानकारी सीएम मान ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया एक्स अकाउंट पर दी है.
उन्होंने लिखा, पंजाब सरकार खनौरी बॉर्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान शहीद हुए शुभकरण सिंह के परिवार को 1 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देगी और उनकी छोटी बहन को सरकारी नौकरी दी जाएगी। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी. मन ने कहा कि हम अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।
मान ने केंद्र पर धमकी देने का आरोप लगाया
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी देने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि शुभकरण यहां किसी प्रचार के लिए नहीं आए हैं, वह अपनी कृषि उपज का सही दाम मांगने आए हैं. पंजाब सरकार किसानों के साथ खड़ी है. वे हमें राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी दे रहे हैं. मैं इन धमकियों से डरने वाला नहीं हूं. मैं शुभकरण को मरने नहीं दूंगा. मेरी पोस्ट का मेरे लिए कोई मतलब नहीं है, इसलिए धमकी देना बंद करें।
शुभकरण की मौत पर किसान और हरियाणा पुलिस आमने-सामने
शुभकरण सिंह की मौत पर किसान संगठन और हरियाणा पुलिस आमने-सामने हैं. किसान संगठनों का आरोप है कि उनकी मौत पुलिस की गोली से हुई है. वहीं हरियाणा पुलिस ने ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. इस मामले में किसानों को विपक्ष का भी समर्थन मिला है. अब सबकी नजरें पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर हैं, जिससे पता चलेगा कि मौत कैसे हुई.
आपको बता दें कि 22 साल का शुभकरण सिंह पंजाब के बठिंडा जिले के बालोके गांव का रहने वाला था. उनके पास अपनी दो एकड़ ज़मीन थी और अतिरिक्त 15 एकड़ ज़मीन पट्टे पर लेकर खेती करते थे। भारतीय किसान एकता सिद्धपुर यूनियन से जुड़े शुभकरण 13 फरवरी से आंदोलन में शामिल थे। इससे पहले वह तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में भी शामिल रहे थे।