सत्य खबर,नई दिल्ली ।Coromandel Express
ओडिशा के बालासोर में जिन तीनों ट्रेनों में भीषण टक्कर हुई उनमें कोरोमंडल एक्सप्रेस बुरी तरह से प्रभावित हुई और देखते-देखते कई लोगों की जान चली गई। आज हम आपको कोरोमंडल एक्सप्रेस के इतिहास के बारे में बताएंगे यह भी बताएंगे कि आखिर यह लोगों की पहली पसंद क्यों थी? कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन की शुरुआत साल 1977 में हुई थी। शुरू में यह ट्रेन हफ्ते में केवल दो दिन चलती थी और केवल तीन जगह विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम और भुवनेश्वर में इसकी स्टॉपेज थी। यह ट्रेन चार राज्यों से होकर गुजरती है। उस समय यह ट्रेन शाम के 5.15 में हावड़ा से चलती थी और अगले दिन शाम के 4 बजकर 45 मिनट पर पहुंचती थी। तब यह सुपरफास्ट ट्रेन 1,662 किमी की यात्रा 23 घंटे 30 मिनट में पूरा करती थी। वहीं चेन्नई से यह सुबह 9 बजे चलती थी और अगले दिन सुबह 8.30 बजे हावड़ा पहुंचती थी।
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क्यो पड़ा ट्रेन का नाम कोरोमंडल एक्सप्रेस
बंगाल की खाड़ी से लगे देश के पूर्वी तट को कोरोमंडल कोस्ट कहा जाता है और यह ट्रेन पूरे कोरोमंडल कोस्ट से होकर गुजरती है। इसी से इस ट्रेन को कोरोमंडल एक्सप्रेस नाम दिया गया है। इस ट्रेन को किंग ऑफ साउथ ईस्टर्न रेलवे भी कहा जाता है। कोलकाता से चेन्नई जाने वाले अधिकांश पैसेंजर इसे पसंद करते हैं क्योंकि यह चेन्नई मेल से कम समय में गंतव्य पर पहुंच जाती है। तमिलनाडु के आम लोगों के बीच यह ट्रेन बहुत ही ज्यादा फेमस है। यह ट्रेन आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से चेन्नई के बीच नॉन-स्टॉप चलती है। यानी करीब 430 किमी की दूरी के दौरान यह ट्रेन एक बार भी नहीं रुकती है और छह घंटे लगातार चलती रहती है। इसकी अधिकतम रफ्तार 130 किमी प्रति घंटे है।Coromandel Express