Haryana
विकास के लिए शासन-प्रशासन का मुंह ताक रही है पुरानी अनाज मंडी सफीदों
सफीदों पुरानी अनाज मंडी को है ऐशिया की दूसरी बड़ी मंडी होने का दर्जा सत्यखबर, सफीदों (महाबीर मित्तल) – भले ही सफीदों की पुरानी अनाज मंडी को एशिया में दूसरी सबसे बड़ी मंडी का दर्जा प्राप्त रहा हो, भले ही यह मंडी अपने आप में ऐतिहासिक वृहद इतिहास समेटे हुए हो या किसानों की अथक […]
सफीदों पुरानी अनाज मंडी को है ऐशिया की दूसरी बड़ी मंडी होने का दर्जा
सत्यखबर, सफीदों (महाबीर मित्तल) – भले ही सफीदों की पुरानी अनाज मंडी को एशिया में दूसरी सबसे बड़ी मंडी का दर्जा प्राप्त रहा हो, भले ही यह मंडी अपने आप में ऐतिहासिक वृहद इतिहास समेटे हुए हो या किसानों की अथक मेहनत उपजे अनाज को इस मंडी ने बेचकर बहुत बड़ा कोष टैक्स के रूप में सरकारी रोषकोष को दिया हो लेकिन आज वहीं मंडी प्रदेश के शासन और स्थानीय प्रशासन की तरफ अपने विकास के लिए मुंह ताक रही है। आज परिस्थितियां ये हैं कि इस मंडी की तरफ कोई विकास करवाने की दृष्टि से कोई नहीं देख रहा। आज यह मंडी अपनी किस्मत पर रो रही है लेकिन इसकी फरीयाद कोई सुनने वाला नहीं है।
हालात ये हैं कि इस मंडी ना तो सडक़ है, ना निकासी व्यवस्था है, ना सफाई व्यवस्था है और ना ही लाईट व्यवस्था सुचारू है। बता दें कि यह अनाज मंडी के राजा जींद के शासनकाल में अस्तित्व में आई थी और इस मंडी को ऐशिया की पुरानी अनाज मंडियों में दूसरा स्थान प्राप्त था। इस मंडी का देखरेख का संपूर्ण कार्य मार्किटिंग बोर्ड के अधीन था लेकिन कुछ वर्ष पूर्व नगर के असंध रोड पर नई अनाज मंडी के निर्माण होने के कारण इस मंडी को सरकार ने डी-नोटीफाई कर दिया था और इस मंडी को संभालने का जिम्मा नगरपालिका को सौंप दिया गया था। इस मंडी में करीब 250 परिवार निवास करते हैं। जब यह मंडी सुचारू थी, सबकुछ लगभग ठीकठाक चल रहा था क्योंकि इसका संचालन मार्किटिंग बोर्ड कर रहा था लेकिन जब से यह नगरपालिका के अधीन आई है तब से इस मंडी अव्यवस्था का माहौल पैदा हो गया। मंडी के बीचोबीच सडक़ बनी हुई है लेकिन यहां सडक़ नहीं बल्कि गड्ढों में सडक़ है।
बुरी तरह से क्षतिग्रस्त सडक़ से गुजरने से परहेज करते हुए वाहन चालकों ने अनाज डालने के लिए बनाए गए सिमेंट के फडों से होकर गुजरना शुरू कर दिया है। फड़ों पर से वाहन गुजरने के कारण हर रोज दुर्घटनाएं आम हो गई हैं। इसके अलावा वाहन चालकों ने अनाज मंडी के पीछे दोनों साईड बनी गलियों में से होकर भी गुजरना शुरू कर दिया है, जिससे गली के निवासियों का जीना हराम हो गया है। मंडी में सफाई व्यवस्था इतनी बदतर है कि महामारी फैलने का खतरा बना हुआ है। एक बार निकाय मंत्री कविता जैन ने अपने दौरे के दौरान इस मंडी की बदतर सफाई व्यवस्था के लिए अधिकारियों को लड़ात भी लगाई थी। मंडी में बने सिवरेजों के ढक्कन या तो ऊंचे-नीचे हैं या गायब है। खुले मेनहाल के कारण जानमाल का खतरा बना हुआ है और कई बार गाडिय़ां इन खुले मेनहोल में फंस चुकी है। मंडी में लाईट व्यवस्था भी सुचारू नहीं है। लाईटें कभी चल जाती है तो कभी नहीं। अंधेरे में लोगों की सुरक्षा को खतरा बना हुआ है।
यहां की निकासी व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है। जरा सी बारीश में ही पूरी मंडी पानी का बड़ा तालाब बन जाती है। मंडी में दो स्थानों पर बरसाती पानी को धरती में समायोजित करने के लिए लाखों की लागत से किए गए बोर ठप्प पड़े हैं। इस मामले में व्यापार मंडल सफीदों के अध्यक्ष राजकुमार मित्तल का कहना है कि सरकार को इस मंडी की सुध लेनी चाहिए। भले ही यह व्यापारिक इस्तेमाल की ना रही हो लेकिन आज भी यहां पर सैंकड़ों परिवार निवास कर रहे हैं। अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाना सरकार व प्रशासन का दायित्व है। वहीं नगरपालिका पार्षद गौरव रोहिल्ला का कहना है कि पुरानी अनाज मंडी के विकास के लिए जल्द ही टैंडर होने वाले है। पुरानी मंडी में विकास करवाना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है।