सत्य खबर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज । Gurugram news update
हरियाणा प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहलाने वाला गुरुग्राम जिला आजकल मीडिया में काफी सुर्खियां बटोर रहा है। जिले में हर तरफ से आए दिन नित नए खुलासे सामने आ रहे हैं। जिसमें चाहे गुरुग्राम और नगर निगम मानेसर के चुनाव की चर्चा हो या भिवानी मर्डर कांड हो या गौ तस्करों और गौ रक्षकों के बीच में खींचातानी हो, चाहे 2024 चुनाव मिशन हो, दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे हो, खेड़की दौला द्वारका एक्सप्रेसव हो, गुरुग्राम मानेसर मेट्रो लाइनों हो, चाहे निगम का होल्डिंग्स मामला हो बधवारी प्लांट हो या साफ-सफाई गंदगी का मामला हो, चाहे नगर निगम में तहबाजारी की दुकानों का मामला हो, कमान सराय मल्टीस्टोरी वाहन पार्किंग का मामला हो, चाहे जी 20 हो या पीड़ित या पत्रकारों पर घर में घुसकर जानलेवा हमला आदि के मामले को जिनमें भाजपा सत्ता पक्ष के काफी रसूखदार कार्यकर्ताओं और छूट भैया नेताओं की मिलीभगत और साजिश में संलिप्तता खूब पाई जा रही है।
लेकिन फिर भी जिले में ऊंचे पदों पर बैठे भ्रष्ट और लापरवाह अधिकारी ऊंचे दबाव के चलते पीड़ित दीन दुखियों की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिससे जिले वासी सभी पार्टियों के भ्रष्ट नेताओं की भेदभाव नीति के चलते अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इन सब के चलते सोमवार को शहर के वरिष्ठ नागरिक समाज सेवक एवं आरटीआई के दिग्गज कार्यकर्ता हरिंदर धींगरा ने दोपहर को एक शायरा अंदाज में अपने ट्विटर अकाउंट पर “गुरुग्राम में तैनात अफसर व चंडीगढ़ की माशूका पर कभी भरोसा मत करना क्योंकि तारीखे लौट जाती है वक्त नहीं ” यह लिखकर डाल दिया कि जिसके अभी तक 300 के करीब वीयुज हो चुके हैं। उनके ट्विटर अकाउंट पर करीब 6000 फॉलोअर्स है। जिन्होंने अधिकारियों पर सीधा कटास करते हुए लिख दिया है जो कि गुडगव में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है। जिसके सैकड़ों मामले हर शहर वासियों की जबान से हमेशा सुन सकते हैं। लेकिन फिर भी भाजपा कांग्रेस आम आदमी पार्टी के नेता केवल जनता को बेवकूफ बनाने के लिए एक दूसरे पर छींटाकशी करते रहते हैं।
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बता देगी कि हरेंद्र धींगरा ने एक रिपोर्ट के अनुसार बताया गया है कि उन्होंने वर्ष 2010 से अब तक करीब 9000 आरटीआई आवेदन पत्र केंद्र सरकार राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में लगाए हैं जिनमें काफी भ्रष्टाचार के मामले उजागर हुए हैं उन्होंने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जनहित के मामलों में याचिकाएं भी दायर की हुई है तथा कई एचसीएच और आईएएस अधिकारियों के खिलाफ भी जांच करवा चुके हैं। वही आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ भी कई आरटीआई लगाने से उन्होंने कई दफा संकट में भी गुजरना पड़ा है। उन्होंने आरटीआई से जानकारी लेकर कई राजनेताओं के भी काले चिट्ठे जनता के सामने रखे हैं। अब इसमें सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात देखने में यह आ रही है कि वे आरटीआई के सहारा लेकर किसी बड़ी प्लानिंग को अंजाम देने की सोच रहे हैं या वास्तव में ही जनहित और पीड़ितों से जुड़े रहना चाहते हैं। जय बात तो भविष्य के गर्भ में छुपी हुई है। हालांकि कई आरटीआई एक्टिविस्टटो ने यहां तक भी बताया कि वे वर्ष 2006 से ही आरटीआई का इस्तेमाल भ्रष्टाचार रोकने के लिए कर रहे हैं लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी का भी बाल बांका नहीं करवा पाए जिनका उन्हें बहुत बड़ा अफसोस है। लेकिन आज हरेंद्र धिगडा का ट्वीट पढ़ने से हौसला बढ़ गया है। समझने वाले समझ गए हैं ना समझे वह अनाड़ी है। Gurugram news update
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