सत्य खबर । चंडीगढ़
देश की राजधानी दिल्ली में 26 नवंबर को प्रस्तावित किसानों के आंदोलन से पहले हरियाणा में किसान नेताओं को हिरासत में लिए जाने के मामले में हरियाणा भर में हुई किसानों की गिरफ्तारियों को लेकर ‘हरियाणा प्रोग्रेसिव फार्मर यूनियन’ की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा डीजीपी व हरियाणा सरकार को तुरंत गुरुवार (26 नवम्बर) तक गिरफ्तारियों के बारे में हाई कोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए किसान यूनियन ने अपने वकील प्रदीप रापडिय़ा व एचपीएस इस्सर के माध्यम से 25 नवम्बर को दायर की गई। याचिका की सुनवाई उसी दिन बुधवार को ही सुनवाई की गुहार लगाई। 26-27 नवंबर को दिल्ली में प्रस्तावित प्रदर्शन के लिए किसानों के कूच को रोकने के लिए हरियाणा सरकार सोमवार रात से ही किसान नेताओं की धर-पकड़ पर उतर आई।
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याचिका में किसानों ने आरोप लगाया कि नए कृषि कानून के विरोध कर रहे किसान खेत मजदूर नेताओं को आधी रात को ही राज्य के अलग-अलग जगहों से बड़े पैमाने पर बिना किसी अपराधिक घटना में संलिप्त किसानों के घरों पर छापेमारी की गई और 100 से अधिक नेताओं की बिना कोई कारण बताए गिरफ्तारियां की गई।
सरकार ने किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए अपने पूरे तंत्र को लगा दिया है। किसानों की तरफ से पेश हुए वकील प्रदीप रापड़िया ने बताया कि ऐसे में किसानों के घरों पर आधी रात को दबिश देना व उनके साथ खतरनाक अपराधियों की व्यवहार करना असंवैधानिक व लोकतंत्र की हत्या करना है और किसानों की तुरंत रिहाई की गुहार लगाई। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी करते हुए डीजीपी हरियाणा से गुरुवार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए।
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