नारनौंदः विश्व भर में विख्यात हिसार के राखीगढ़ी में हड़प्पाकालीन सभ्यता की खोदाई में लगातार नए तथ्य सामने आ रहे हैं। यहां के टीलों की खोदाई के दौरान ऐसे प्रमाण मिले हैं, जो यह प्रमाणित करते हैं कि हमारे पूर्वजों ने सबसे पहले विदेश में भ्रमण और प्रवास आरंभ किया थे। वही सबसे पहले दूसरे देशों में गए। खोदाई के दौरान यहां से कुछ मनके और मुहरें भी मिली हैं। बता दें कि यह मनके ईरान के हैं और आज भी उनका प्रयोग ईरान में होता है।
खाेदाई में पता चला है कि मुहर भारतीयों की तरफ से खरीद फरोख्त के समय प्रयोग में लाई जाती थी। पुरातत्व विशेषज्ञों को खोदाई में कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला है कि जिससे पता चले कि कोई विदेशी यहां आया हो। हां, हमारे लोगों के विदेश प्रवास करने के पुष्ट प्रमाण अवश्य हैं। पुरातत्वविदों के अनुसार हमारे पूर्वज ईरान गए थे, इसकी जानकारी वहां के 11 लोगों के डीएनए सैंपल का टेस्ट करने के बाद सामने आई। उन लोगो में हड़प्पन लोगों का जीन मिला है।
पुरातत्वविदों के अनुसार खोदाई में जो चीज़ें मिली हैं, वे यह अनुमान लगाने के लिए काफी हैं कि भारत के लोग ईरान और मध्य एशिया में व्यापार करने पहुंचे थे और उनके ईरान से अच्छे व्यापारिक संबंध थे। विश्व में अलग-अलग स्थानों पर हुई खोदाई में कहीं भी पांच हजार साल पुराना कंकाल मिला हो, लेकिन राखीगढ़ी में मिले कंकाल पांच हजार वर्ष पुराने हैं। डेक्कन यूनिवíसटी एवं महानिदेशक राष्ट्रीय समुद्री विरासत समूह के पूर्व कुलपति के मुताबिक खोदाई में मिले सामान से यह साबित हो गया कि हम लोग ही सबसे पहले बाहर विदेशों में गए थे। उसके बाद ही विदेशी लोग यहां पर आए थे। डीएन टेस्ट से यह भी प्रमाणित है दक्षिण के लोगों में भी हड़प्पन लोगों का जीन है।
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