सत्य खबर, गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज : Information Commission imposes Rs 25,000 fine
राज्य सूचना आयोग ने आवेदक को मांगी गई सूचना समय पर सही उपलब्ध न कराने पर कड़ा संज्ञान लेते हुए गुरुग्राम नगर निगम के जन सूचना अधिकारी को जुर्माना लगाते हुए दंडित किया है। वही कंप्लायंस रिपोर्ट 28 अप्रैल तक कार्यालय में भिजवाने का आदेश दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार शहरवासी जिनेंद्र जैन ने नगर निगम गुरुग्राम के जन सूचना अधिकारी से आरटीआई एक्ट 2005 के तहत 02 अगस्त 2021 को सूचना उपलब्ध कराने के लिए आवेदन दिया था। जिस की सरकारी फीस भी आवेदक ने जमा करा दी थी। जिसमें नगर निगम गुरुग्राम के जनसूचना अधिकारी जेटीओ की तरफ से आवेदक को गलत ,आधी अधूरी और भ्रामक सूचना उपलब्ध कराई गई,वही कुछ सूचना उपलब्ध कराई ही नहीं गई। जिसकी प्रथम अपील आवेदक ने प्रथम अपील अधिकारी को दायर की थी । जिसकी सुनवाई पर भी आवेदक को सही सूचना उपलब्ध नहीं हुई। जिस पर निराश में आवेदक ने प्रदेश के सूचना आयोग चंडीगढ़ में द्वितीय अपील दायर कर सही सूचना उपलब्ध कराने व आरटीआई एक्ट 2005 का उल्लंघन करने पर सूचना अधिकारी पर जुर्माना लगाने की गुहार लगाई थी। जिस पर कार्रवाई करते हुए सूचना आयुक्त ने नोटिस जारी कर आवेदक व जन सूचना अधिकारी को चंडीगढ़ कार्यालय में तलब किया था।
Information Commission imposes Rs 25,000 fine
लेकिन पेशी तारीख पर अभी तक तो पहुंचे मगर जन सूचना अधिकारी सुनवाई पर नहीं पहुंचे। जिस पर कड़ा रुख अपनाते हुए सूचना आयोग ने शोक आज नोटिस भी जन सूचना अधिकारी को भेजा था। वही मामला भ्रष्टाचार और सदर बाजार की जमीन में हुई हेराफेरी सरकार हित में था। इसलिए सूचना आयुक्त ने नगर निगम गुरुग्राम के तत्कालीन निगम कमिश्नर मुकेश कुमार आहूजा को भी पत्र जारी कर मामले से अवगत कराया था। जिस पर भी निगम कमिश्नर द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, और ना ही आवेदक को सूचना ही उपलब्ध कराई गई। जिसकी दोबारा से सुनवाई होने पर सूचना आयुक्त सत्यवीर सिंह फुलिया ने जेटीओ दिनेश कुमार पर ढाई सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से ₹25000 का जुर्माना लगाने के आदेश पारित किए हैं। वही आदेश की फालना के लिए 28 अप्रैल 23 की तिथि दी गई है।
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बता दे कि गुरुग्राम के सदर बाजार में सरकारी भूमि की जानकारी के लिए सदर बाजार निवासियों द्वारा नगर निगम के पटवारी द्वारा जारी किए गए सदर बाजार व साथ लगती गलियों मैं कितनी सरकारी भूमि कब कब किस किस व्यक्ति को बेची गई थी। इस बारे में जानकारी मांगी थी। सदर बाजार में ऐसा अक्सर देखने में आता है कि नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी मिलीभगत करके किसी के भी नाम में उसके
रिकॉर्ड से अधिक भूमि बिना किसी कागजों की जांच पड़ताल किए बिगर लेन-देन से कागजों पर चढ़ाते रहे हैं, ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं , जहां पर बिना कागजों के सरकारी भूमि व्यक्ति विशेष के नाम में चढ़ा दी गई है। लोगों ने उन पर निर्माण कार्य कर कर बहुमंजिला दुकानें बना ली है इन सब की जानकारी के लिए ही राज्य सूचना आयोग ने zto 2 नगर निगम गुरुग्राम से सरकारी भूमि की बिक्री का रिकॉर्ड मांगा गया था । जो पीआईओ उपलब्ध कराने में नाकाम रहे। दिनेश कुमार वही व्यक्ति हैं, जिन पर मुख्यमंत्री शहरी निकाय योजना में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। जिसकी जांच भी अभी जांच पेंडिंग बताई गई है। वे अभी फरीदाबाद नगर निगम में कार्यरत है। Information Commission imposes Rs 25,000 fine
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