सत्य खबर नई दिल्ली इजराइल हमास युद्ध : Israel-Hamas war is more terrible than the Second World War, know here
मध्य पूर्व दुनिया में एक ऐसी जगह रही है जहां कभी शांति स्थापित नहीं हुई है। किसी देश का किसी देश से झगड़ा चलता रहता है। ऐसा ही कुछ इस बार भी देखने को मिल रहा है, जहां इजराइल और फिलिस्तीन समर्थक चरमपंथी संगठन हमास एक-दूसरे से आमने-सामने हैं. इजराइल-हमास युद्ध ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है. इसकी वजह गाजा पट्टी में इजरायली बमबारी में हजारों लोगों की मौत है.
कुछ लोगों ने इस युद्ध की तुलना द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई बमबारी से की है। हालाँकि, ऐसा करने वाले लोग गलत नहीं हैं, क्योंकि आंकड़े इस बात की पुष्टि करते दिख रहे हैं कि इजराइल-हमास युद्ध दूसरे विश्व युद्ध से भी ज्यादा भयानक है। जापान के दो शहर, हिरोशिमा और नागासाकी, द्वितीय विश्व युद्ध की सबसे बड़ी त्रासदी के गवाह बने, जहाँ परमाणु बम गिराए गए। गाजा में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है, फर्क सिर्फ इतना है कि यहां परमाणु बम नहीं गिर रहे हैं.
इन बातों को ध्यान में रखते हुए आइए इस युद्ध की तुलना दूसरे विश्व युद्ध से करते हैं और आपको बताते हैं कि इजराइल ने अब तक गाजा पर कितने बम गिराए हैं। गाजा में प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर कितने किलोग्राम बम गिराए गए हैं? इस युद्ध से कितनी आर्थिक हानि हुई?
गाजा पट्टी पर कितने टन बम गिराये गये?
7 अक्टूबर को हमास द्वारा इजराइल पर किए गए हमले के बाद से इजराइली सेना गाजा पट्टी में चरमपंथी संगठन के ठिकानों को नष्ट कर रही है. हमास को जड़ से उखाड़ने की कसम खाने वाले इजराइल ने गाजा पट्टी पर भारी बमबारी की है. TASS की रिपोर्ट के मुताबिक, हमास पोलित ब्यूरो के सदस्य ओसामा हमदान ने कहा था कि 7 अक्टूबर से 6 नवंबर तक गाजा पर विस्फोटकों से भरे 35 हजार टन बम गिराए गए.
ओसामा हमदान ने कहा था कि इजरायल द्वारा गिराए गए बम परमाणु बमों से होने वाले नुकसान से भी ज्यादा हैं. यूरो मेड मॉनिटर की रिपोर्ट के मुताबिक, हमदान की बात सच साबित होती दिख रही है, क्योंकि हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से हुआ नुकसान 15,000 टन विस्फोटक से हुई तबाही के बराबर था. ऐसे में गाजा पट्टी पर गिराए गए विस्फोटक परमाणु बम से भी दोगुने ज्यादा शक्तिशाली हैं.
विस्फोटकों से भरे कितने KG बम बरसाए गए?
गाजा पट्टी की जनसंख्या 2.3 मिलियन है, जिसमें से लगभग 1 मिलियन अकेले इसकी राजधानी गाजा शहर में रहते हैं। गाजा सिटी पट्टी के उत्तरी हिस्से में स्थित है, जहां इजराइल ने सबसे ज्यादा बमबारी की है. अब तक उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 35,000 टन विस्फोटकों से भरे बम गिराए गए हैं. इसका मतलब है कि गाजा में हर व्यक्ति पर लगभग 65 किलोग्राम विस्फोटक से भरा बम गिराया गया है।
गाजा पट्टी पर कितने बम गिराये ?
यूरोमेड मॉनिटर की रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर की शुरुआत में इजरायली युद्ध मंत्री योव गैलेंट ने कहा था कि अकेले गाजा सिटी पर 10 हजार से ज्यादा बम गिराए गए हैं. इनमें से कुछ बमों का वजन 150 किलोग्राम से लेकर 1000 किलोग्राम तक है। इजरायल बमबारी के लिए जिन बमों का इस्तेमाल कर रहा है, वे अमेरिका में डिजाइन किए गए एमके80 बम परिवार का हिस्सा हैं। इन्हें स्मार्ट बम भी कहा जाता है. बमबारी के लिए F-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
गाजा युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध से भी अधिक भयानक क्यों?
दरअसल, गाजा पट्टी में चल रही बमबारी की तुलना द्वितीय विश्व युद्ध से करने के कई कारण हैं। बमबारी के अलावा गाजा में जान-माल का नुकसान भी दूसरे विश्व युद्ध जैसा है. द्वितीय विश्व युद्ध के कारण जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों को सबसे अधिक क्षति हुई। ऐसे में अगर हम इन दोनों शहरों से गाजा पट्टी पर हुए हमलों की तुलना करें तो हमें कुछ चौंकाने वाले आंकड़े नजर आते हैं. ये आंकड़े ऐसे हैं जिन्हें जानने के बाद हर कोई युद्ध रोकने की वकालत करेगा.
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जापान के हिरोशिमा शहर का क्षेत्रफल, जिस पर परमाणु बम गिराया गया था, 900 वर्ग किलोमीटर था, जबकि गाजा पट्टी केवल 360 वर्ग किलोमीटर है। ऐसे में हिरोशिमा से तीन गुना छोटे गाजा पर दो परमाणु बमों के बराबर हमला किया गया है. इसे समझने के लिए हम आपको फिर बता दें कि हिरोशिमा पर गिराया गया बम 15,000 टन विस्फोटक के बराबर था, जबकि गाजा पर 35,000 टन विस्फोटक से भरे बम से हमला किया गया था.
युद्ध में जान-माल की कितनी हुई हानि?
इजराइल-हमास युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक 20 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें से 1200 लोग इजराइल में मरे हैं, जबकि बाकी लोगों की जान गाजा पट्टी में गई है. गाजा पट्टी में घायल हुए लोगों की संख्या 36000 से ज्यादा है. अगर इसकी तुलना दूसरे विश्व युद्ध से करें तो इसमें 7.5 करोड़ लोग मारे गए थे. हिरोशिमा में मारे गए लोगों की संख्या 70,000 से 126,000 थी, जबकि नागासाकी में 60,000 से 80,000 लोगों की जान गई थी।