सत्य खबर, नई दिल्ली
लाखों साल पहले गायब हो गया था ये ‘जानवर’
आज के समय में विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है। यही कारण है कि जो चीजें हमें कभी असंभव लगती थीं, वे आज फिर से संभव हो गई हैं। इसी कड़ी में इन दिनों वैज्ञानिक एक ऐसा प्रयोग करने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर पूरी दुनिया हैरान है। दरअसल, वैज्ञानिक लाखों साल पहले मर चुके मैमथ को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं।also read: दूसरे विश्व युद्ध से भी ज्यादा भयानक है इजराइल-हमास का युद्ध, यहां जानें
सही मायनों में देखा जाए तो विज्ञान ने बहुत प्रगति कर ली है। एक समय था जब लोगों को चीजें नामुमकिन लगती थीं, लेकिन आज के समय में वो चीजें सच होती जा रही हैं। यहां ऐसे कई जीव थे जो कभी धरती पर मौजूद थे, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं या मौसम में बदलाव के कारण ये जीव धरती से पूरी तरह गायब हो गए। आजकल विज्ञान के कारण हम उन प्राणियों को दोबारा जीवित करने लगे हैं।
सबसे आश्चर्य की बात यह है कि हम इंसानों ने इन प्राणियों को कभी नहीं देखा है, हमें केवल इनके जीवाश्म मिले हैं, उन्हीं के आधार पर इनके चित्र बनाए गए हैं। इनमें डायनासोर से लेकर मैमथ तक कई ऐसे जानवर शामिल हैं, जो कभी हमारी धरती पर राज करते थे। अब वैज्ञानिक इन जानवरों को दोबारा जिंदा करने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल वैज्ञानिकों को इनके जीवाश्मों के आधार पर यह पता चल गया है कि ये जीव दिखते कैसे थे? या उनकी जीवनशैली कैसी थी?
इन्हीं जानवरों में से मैमथ को लेकर वैज्ञानिकों ने फिर से एक अभियान शुरू किया है, अब कुछ वैज्ञानिक बर्फीले इलाके में पाए जाने वाले मैमथ के जमे हुए डीएनए के जरिए उन्हें वापस जिंदा कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो मैमथ धरती पर दोबारा जिंदा हो जाएंगे। वर्तमान समय में कुछ वैज्ञानिकों ने बर्फीले इलाके में पाए जाने वाले मैमथों को जमे हुए डीएनए के जरिए दोबारा जीवित करने का अभियान शुरू कर दिया है।
इस प्रयोग में वैज्ञानिक आर्कटिक के बार्ड में पाए जाने वाले ऊनी मैमथ के डीएनए को एशियाई हाथी के डीएनए के साथ मिलाकर इस जानवर के बच्चे को पुन: उत्पन्न करने का प्रयास कर रहे हैं। बायोटेक कंपनी कोलोसल बायोसाइंस के वैज्ञानिकों का कहना है कि 2028 तक इन मैमथ के बच्चे होंगे। उनकी वेबसाइट के मुताबिक, वे एक मैमथ का भ्रूण बनाएंगे और उसे सरोगेट हाथी के पेट में रोपेंगे। जिससे यह जानवर वापस धरती पर जाग उठेगा।
हालांकि, कई लोग ऐसे भी हैं जो कंपनी द्वारा किए जा रहे इस प्रयोग के बिल्कुल खिलाफ हैं। कार्लटन यूनिवर्सिटी, ओटावा के जोसेफ बेनेट के मुताबिक, क्लोनिंग गलत नहीं है। लेकिन इस तरह से लापता जानवरों को पुनर्जीवित करना खतरनाक साबित हो सकता है। प्रोफेसर ने अपने बयान में कहा कि अगर जीव गलती से दोबारा जाग गया तो धरती पर एक बार फिर तबाही मच जाएगी.