सत्य खबर, नई दिल्ली ।Know the story of Hathini Kund Barrage that submerged Haryana and Delhi
दिल्ली में आए बाढ़ के पानी का ठीकरा हथिनी कुंड पर फोड़ा जा रहा है। हरियाणा के यमुनानगर स्थित हथिनी कुंड बैराज में जलस्तर बढ़ गया है। अभी 1,51,000 क्यूसेक पानी नीचे छोड़ दिया गया है। कल से पानी का स्तर घटना शुरू हुआ था, लेकिन बीती रात से उसमें बढ़ोतरी हुई है। हथिनी कुंड बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ने के बाद यमुना नदी में जलस्तर बढ़ने लगा है। मॉनसून के मौसम में हर साल यमुना अपने प्रचंड रूप में होती है। नदीं के आस-पास रहने वालों को खतरा हो जाता है। हथिनीकुंड बैराज दिल्ली की ओर आने वाले यमुना के पानी को रोकता है। दिल्ली से हथिनीकुंड बैराज महज 200 किलोमीटर दूर है। अगर बैराज से पानी छोड़ा जाता है तो वह पड़ोसी राज्य दिल्ली में प्रलय मचाता है। हथिनी कुंड से दिल्ली तक पानी पहुंचने में 72 घंटे लगते हैं। इस दिनों पानी का बहाव तेज होने से इसका समय कम हो गया है और पानी फोर्स से दिल्ली की ओर गया है।
कब शुरू हुआ हथिनी कुंड बैराज हथिनी कुंड बैराज हरियाणा के यमुनानगर जिले में स्थित है। यमुना नदी पर इस बैराज का निर्माण साल 1996 में सिंचाई के उद्देश्य से शुरू किया गया था। साल 1999 में हरियाणा के तत्कालीन सीएम बंसीलाल ने इसका उद्घाटन किया था। हालांकि, इसने साल 2002 के बाद ही पूरी तरह से काम करना शुरू किया था।
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हथिनी कुंड बैराज क्यों बनाया गया? हथिनी कुंड बैराज का काम हिमाचल में ऊपरी इलाकों से आने वाले पानी को नियंत्रित करना है। बैराज की लंबाई 360 मीटर है। इस बैराज में 10 फ्लड गेट लगे हैं। इस बैराज के निर्माण पर 168 करोड़ रुपये का खर्च आया था। इस बैराज की क्षमता 10 लाख क्यूसेक पानी को सहन करने की है। अब यहां गेटों की संख्या बढ़कर 18 हो चुकी है।
कब बना था हथिनी कुंड बैराज? अंग्रेजों के शासनकाल में जल बंटवारे को लेकर बनाया गया ताजेवाला 126 साल तक टिका रहा। लेकिन दो दशक पहले हमारे इंजीनियरों का बनाया हथनीकुंड बैराज कई बार टूटा। हथिनी कुंड बैराज का शिलान्यास12 मई 1994 में हुआ था। उस समय हरियाणा के तत्कालीन सीएम भजनलाल के अलावा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत, दिल्ली के सीएम मदनलाल खुराना, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मौजूद थे। पांचों राज्यों के सीएम की मौजूदगी में हथनीकुंड बैराज बनने के बाद यहां से होने वाले पानी के वितरण को लेकर भी सीमा तय की गई थी।
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