सत्य खबर/ मुंबई।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस 24 घंटे के अंदर ही लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे के अपने दावे से मुकर गए। एक दिन पहले उन्होंने दावा किया था कि आम चुनाव में सीट बंटवारे का फॉर्मूला सत्तारूढ़ गठबंधन की तीन पार्टियों बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना के बीच तय हो गया है. उन्होंने सीटों की संख्या भी बढ़ा दी. इसके बाद जब मामले ने मीडिया में तूल पकड़ा तो वे पलट गए.
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अब बीजेपी नेता ने कहा है कि सीट बंटवारे को लेकर अभी कुछ भी तय नहीं हुआ है. अपने पहले के बयान पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि मैंने सिर्फ इतना कहा था कि जो लोग अपनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, उनकी सीटें उन्हीं के पास रहेंगी. अगर इसमें कोई बदलाव करना होगा तो हम इस पर बात करेंगे।’
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— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 27, 2023
इससे पहले उन्होंने एक अखबार को इंटरव्यू देते हुए दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी, एनसीपी (अजित पवार गुट) और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग तय हो चुका है. प्रस्तावित फॉर्मूले के तहत बीजेपी 26 सीटों पर और एनसीपी-शिवसेना 22 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
40-42 सीटों पर जीतेंगे
डिप्टी सीएम देवेन्द्र फड़णवीस ने कहा था कि महाराष्ट्र की सभी 48 लोकसभा सीटों पर सर्वे का काम पूरा हो चुका है. हमारे पास जीतने वाले उम्मीदवारों के बारे में जानकारी है. उन्होंने दावा किया कि गठबंधन अगले आम चुनाव में 40-42 सीटें जीतेगा. विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद लोकसभा के लिए चुनाव प्रचार शुरू होगा.
फड़णवीस का यह बयान एनसीपी नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के एक दिन पहले दिए गए बयान से बिल्कुल उलट था. पवार ने कहा था कि फिलहाल लोकसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ दलों के बीच सीट बंटवारे पर कोई चर्चा नहीं हुई है. इस दौरान उन्होंने अपनी नाराजगी को लेकर चल रही अटकलों को भी खारिज कर दिया.
2019 में कैसा था लोकसभा का समीकरण?
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी-शिवसेना एक साथ थीं और कांग्रेस-एनसीपी एक साथ थीं. महाराष्ट्र की कुल 48 सीटों में से एनडीए को 42 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी के 23 और शिवसेना के 18 सांसद चुने गए. वहीं, एनसीपी को चार और कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी. जबकि एक सीट AIMIM के खाते में गई. शिवसेना और एनसीपी के बीच अलगाव के बाद राज्य में राजनीतिक हालात काफी बदल गए हैं. इस बार चुनाव मैदान में शिवसेना और एनसीपी दो नजर आएंगी, ऐसे में किसका पलड़ा भारी रहेगा ये नतीजे बताएंगे.
सत्तारूढ़ गठबंधन में सीएम पद को लेकर विवाद
जून 2022 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार के पतन के बाद हर कोई मान रहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस एक बार फिर वापसी करने वाले हैं। लेकिन आखिरी वक्त पर बीजेपी आलाकमान ने एक बार फिर सभी को चौंकाते हुए इस पद के लिए शिवसेना में बगावत के मास्टरमाइंड माने जाने वाले एकनाथ शिंदे को आगे कर दिया और फड़णवीस को डिप्टी बनने के लिए कहा गया. अजित पवार सीएम पद की रेस में तीसरे शख्स के तौर पर उतरे, जो कई बार खुलकर अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं.
27 अक्टूबर को बीजेपी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देवेंद्र फड़नवीस का एक वीडियो जारी किया गया था, जिसमें वह कह रहे थे कि मैं नया महाराष्ट्र बनाने के लिए फिर वापस आऊंगा. इसके बाद अटकलें लगने लगीं कि बीजेपी उन्हें विधानसभा चुनाव में सीएम चेहरा बना सकती है. हालांकि, मामला तूल पकड़ने के बाद बीजेपी की राज्य इकाई ने तुरंत वीडियो डिलीट कर दिया और बयान जारी कर कहा कि अगला विधानसभा चुनाव एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.
इसी तरह हाल ही में पंचायत चुनाव के दौरान जब उप मुख्यमंत्री अजित पवार की 86 वर्षीय मां आशा पवार वोट डालने आईं तो उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि मेरे जीते जी मेरा बेटा मुख्यमंत्री बने. ये बयान भी खूब सुर्खियों में रहा था. इन घटनाओं से सत्तारूढ़ गठबंधन में मुख्यमंत्री पद को लेकर नेताओं के बीच अंदरूनी कलह का साफ पता चलता है. आपको बता दें कि अगले साल लोकसभा चुनाव के करीब 3-4 महीने बाद ही राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं.