सत्य खबर । पंचकूला
प्रदेश के बहुचर्चित मानेसर जमीन घोटाले में मंगलवार को पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई। मामले में आरोपी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए व अन्य आरोपी कोर्ट में प्रत्यक्ष रूप से पेश हुए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने हरियाणा के गृह विभाग के एसीएस राजीव अरोड़ा समेत 5 तत्कालीन आईएएस अधिकारियों को अतिरिक्त आरोपी मानते हुए नोटिस जारी किया है।
अधिकारियों को 17 दिसंबर को कोर्ट में हाजिर होकर बयान दर्ज कराने होंगे। दरअसल, मानेसर जमीन घोटाले में सीबीआई की जांच में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत 34 लोगों को आरोपी बनाया हुआ है। मामले में चार्ज फ्रेम को लेकर कोर्ट में बहस चल रही है। इसके बाद ही आरोपियों पर आरोप तय कर आगे केस चल सकेगा। अरोड़ा के अलावा अन्य जिन पूर्व अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है।
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उनमें टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में तैनात रहे सुरजीत सिंह के साथ रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डीआर धींगड़ा, धारय सिंह, कुलवंत सिंह लांबा का नाम शामिल है। कोर्ट ने केस स्टडी के दौरान इन अधिकारियों के नाम को पाया और उसके बाद नोटिस जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया इन अधिकारियों को समन करना बनता है। अरोड़ा 2005-2011 के दौरान एचएसआईआईडीसी के एमडी के पद पर रहे थे। गुड़गांव के मानेसर जमीन घोटाले को लेकर 15 सितंबर 2015 को एफआईआर दर्ज की गई थी। जांच में पूर्व सीएम व कई पूर्व आईएएस अधिकारियों समेत 34 लोगों के नाम सामने आए।
27 अगस्त 2004 को मानेसर और पास के गांव नौरंगपुर व लखनौला की 1315 एकड़ भूमि पर अधिग्रहण से संबंधित सेक्शन-4 लागू किया गया। राज्य सरकार ने 12.5 लाख की दर से मुआवजा तय किया। सेक्शन लागू होते ही किसान डर गए और बिल्डर सक्रिय हो गए।
25 अगस्त 2005 को 688 एकड़ जमीन पर सेक्शन 6 लागू होते ही औसतन 40 लाख रुपये की दर से बिल्डरों ने जमीन खरीदनी शुरू कर दी।
बिल्डरों को पता था कि सरकार अधिसूचना वापस लेगी। सरकार के 24 अगस्त, 2007 को अधिग्रहण की अधिसूचना रद्द करने से कुछ ही दिन पहले प्रॉपर्टी की कीमत 80 लाख रुपये प्रति एकड़ से अधिक हो गई।
अधिसूचना रद्द होते ही जमीन की कीमत 1.2 करोड़ प्रति एकड़ को पार कर गई। इस दौरान 22 कंपनियों ने 444 एकड़ जमीन खरीद ली।
अकेले आदित्य बिल्डवेल ने 248 एकड़ जमीन खरीदी। सेक्शन 4 से 6 के दौरान 60 रजिस्ट्रियां हुईं। सेक्शन 6 लागू होने के बाद 4 रजिस्ट्री हुईं।
अधिग्रहण रद्द होते ही 50 रजिस्ट्रियां हो गईं। इस तरह की कुल 114 रजिस्ट्रियां गलत ठहराई गईं।
सरकार ने अधिसूचना की अवधि में एक दर्जन से अधिक कंपनियों को ग्रुप हाउसिंग स्कीम के तहत लाइसेंस दिया।
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