marriage of real brother and sister
सत्य खबर , नई दिल्ली । केरल में एक ईसाई समुदाय की परंपरा पर वहां की कोट्टायम कोर्ट ने रोक लगा दी है. यह परंपरा है, भाई-बहनों की आपस में शादी कराने की. कोर्ट का कहना है कि यह कोई धार्मिक मामला नहीं है, इसलिए यह परंपरा बंद करें. मामला क्रॉस कजिन मैरिज का, यानी चचरे, ममेरे, फुफेरे या दूर की रिश्तेदारी वाले भाई-बहनों से जुड़ा नहीं है, बल्कि सगे भाई-बहनों की शादी करा देने की परंपरा का है. सीमित क्षेत्र में सीमित आबादी वाला यह समुदाय, इस परंपरा के पीछे का कारण भी अलग ही देता है.
भाई-बहन की शादी कराने की परंपरा के पीछे इनका तर्क आपको भी चाैंका सकता है. दरअसल केरल में रहनेवाला यह एक ऐसा ईसाई समुदाय है, जो खुद को जातिगत रूप से बहुत शुद्ध मानता है. इस समुदाय में अपनी शुद्धता को बनाए रखने के लिए सगे भाई-बहनों की भी आपस में शादी करा दी जाती है.marriage of real brother and sister
यहूदी-ईसाई परिवारों का वंशज
यह समुदाय है- कनन्या कैथोलिक समुदाय. यह खुद को उन 72 यहूदी-ईसाई परिवारों का वंशज मानता है, जो 345 ईस्वीं में थाॅमस ऑफ किनाई व्यापारी के साथ मेसोपोटामिया से यहां आए थे. एक हिंदी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि किनाई ही बाद में कनन्या हो गया. केरल के कोट्टायम और इसके पास के जिलों में इस समुदाय के करीब 1.67 लाख लोग हैं. इनमें से 218 पादरी और नन हैं.
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समुदाय से बाहर शादी पर प्रतिबंध
इस समुदाय के लोग अपनी जातिगत शुद्धता बनाए रखने के लिए अमूमन समाज से बाहर शादी नहीं करते. अगर कोई समुदाय से बाहर शादी करता है तो उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है. इतना ही नहीं, उसके चर्च और कब्रिस्तान जाने पर भी पाबंदी लगा दी जाती है. समाज से बाहर शादी करने वाला इस समाज की अन्य शादी और आयोजनों, यहां तक कि अपने रिश्तेदारों की शादी में भी नहीं जा सकता.
समुदाय में वापसी की शर्तें
समाज से बहिष्कृत होने के बाद फिर समाज में वापस आने की भी एक अपवाद स्थिति है. इस समुदाय के किसी लड़के ने बाहरी लड़की से शादी कर ली और उस बाहरी की अगर मृत्यु हो जाए तो उसे समाज में वापस लेने का भी प्रावधान है. लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें तय हैं. शर्त ये है कि उस लड़के को फिर से अपने समुदाय की किसी लड़की से शादी करनी होगी. दूसरी शर्त ये भी है कि अगर पहली पत्नी (बाहरी लड़की) ये कोई संतान हुई हो तो उसे समुदाय में नहीं ला सकते. हालांकि महिलाओं के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. कई बार एक ही परिवार में लोग अलग-अलग पंथ का अनुसरण करते हैं.marriage of real brother and sister
कोर्ट में पहुंचा मामले को समझिए
पति को समुदाय से बहिष्कृत करने के बाद महिला सांथा जोसेफ ने कोर्ट में संस्था के माध्यम से अपील दायर की. वो कहती हैं कि उनके पति को समाज से बाहर निकाल दिया गया, क्योंकि वो ईसाई तो थीं, लेकिन कनन्या समुदाय से नहीं थीं. अब उनके पति के उस कब्रिस्तान में जाने पर भी रोक लगा दी गई, जहां उनके माता-पिता दफनाए गए थे. उन्हें रिश्तेदारों की शादियों और अन्य आयोजनों में जाने तक का अधिकार नहीं था.
इसके बाद इस परंपरा से पीड़ित लोगों ने कनन्या कैथोलिक नवीकरण समिति नाम से संस्था बनाई और ऐसी परंपराओं के खिलाफ कोर्ट में अपील दायर की. कोर्ट से उन्हें बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए भाई-बहनों की आपस में शादी कराने वाली परंपरा पर भी रोक लगा दी है.
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