सत्य खबर नई दिल्ली/ 26/11:Mumbai Attack: 15th anniversary of the Mumbai attack today, the conspiracy of the Mumbai attack was kept
मुंबई हमले की 15वीं बरसी है. 15 साल पहले लश्कर के 10 आतंकवादियों ने बेगुनाहों की ओर बंदूकों का मुंह खोलते हुए इंसानियत को लहूलुहान कर दिया था. दहशतगर्दों ने खून की जो होली खेली थी, उसमें 18 सुरक्षाकर्मियों समेत 164 लोग मारे गए थे, वहीं 300 से ज्यादा घायल हो गए थे. इस हमले के बाद भारत ने कुछ ऐसे फैसले लिए थे. जिससे भारत के सुरक्षा ढांचे को पूरी तरह बदल दिया था.
आतंकियों ने ऐसे दिया था घटना को अंजाम
हर दिन की तरह मुंबई की व्यस्त सड़कों पर लोगों की चहलकदमी जारी थी. उधर, आतंकियों के मुंबई में घुसने का सिलसिला भी जारी था. कोलाबा के समुद्री तट पर एक बोट से दस आतंकी उतरे, छिपते-छिपाते हथियारों से लैस ये आतंकी कोलाबा की मच्छीमार कॉलोनी से मुंबई में घुसे और दो-दो गुटों में बंट गए. इनमें से दो आतंकी यहूदी गेस्ट-हाउस नरीमन हाउस की तरफ बढ़े, जबकि दो आतंकी छत्रपति शिवजी टर्मिनल की तरफ. वहीं, दो-दो आतंकियों की टीम होटल ताजमहल की तरफ और बाकी बचे आतंकी होटल ट्राईडेंट ओबरॉय की तरफ बढ़ गए. इसके बाद इमरान बाबर और अबू उमर नामक आतंकी लियोपोल्ड कैफे पहुंचे और रात करीब साढ़े नौ बजे वहां एक जोरदार धमाका किया. जिसके बाद लोगों में अफरा-तफरी मच गई.
मुठभेड़ में कई जवान हुए थे शामिल
उधर, आतंकियों की एक दूसरी टीम सीएसटी पहुंची और अंधाधुंध गोलियां बरसाने लगी. देखते ही देखते इन आतंकियों ने 50 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतार दिया. आतंकियों की तीसरी टीम होटल ताजमहल और चौथी टीम होटल ट्राईडेंट ओबरॉय पहुंच गई और यहां भी आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी. होटल ताजमहल में तो कम, लेकिन होटल ट्राईडेंट ओबरॉय में 30 से अधिक लोग मारे गए. इस हमले में महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, पुलिस अधिकारी विजय सालस्कर, आईपीएस अशोक कामटे और कॉन्स्टेबल संतोष जाधव शहीद हो गए.
जांच में सामने आई थी ये बातें
जांच के दौरान कसाब ने बताया था कि उसका पूरा मोहम्मद अजमल आमिर कसाब है और वो 21 साल का है. वो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के उकाड़ा जिले के दिपालपुर का रहने वाला था. इसी दौरान उसकी मुलाकात मुजफ्फर खान से हुई. उसके बाद दोनों रावलपिंडी गए और वहां चोरी करने की योजना बनाई, लेकिन इसके लिए उन्हें एक बंदूक की जरूरत थी, लिहाजा वो लश्कर-ए-तैयबा के एक स्टॉल पर गए. वहां उन्हें बताया गया कि हथियार तो मिल सकता है, लेकिन उसे चलाना आना चाहिए. इसलिए कसाब ने हथियार चलाना सीखने के लिए लश्कर में शामिल होने का फैसला किया. तीन महीने की कड़ी ट्रेनिंग में उसे व्यायाम, हथियार चलाना, बम गिराना, रॉकेट लांचर और मोर्टार चलाना सिखाया गया।
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आतंकियों को कराची से मिल रहा था निर्देश
तारिक खोसा ने यह भी खुलासा किया था कि आतंकियों ने मुंबई पहुंचने के लिए पाकिस्तानी नावों के साथ-साथ भारतीय नावों का भी इस्तेमाल किया था. आतंकियों ने मुंबई आने के लिए जिस बोट का इस्तेमाल किया था, उसे कराची के एक शॉप से खरीदा गया था. लश्कर के ही आतंकियों ने उसे खरीदा था. जांचकर्ताओं के मुताबिक, आतंकियों को कराची में बैठे उनके आकाओं द्वारा लगातार निर्देश दिया जा रहा था. हालांकि वो खुफिया तरीके से एक-दूसरे से संपर्क में थे.