सत्य खबर, चण्डीगढ़, सतीश भारद्वाज :
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को तब तक मामलों को आगे बढ़ाने के निर्देश जारी किए हैं जब तक कि मामले में कोई स्टे न हो। यह निर्देश एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जसजीत सिंह बेदी ने दिए।
न्यायमूर्ति श्री बेदी ने मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि “मैंने पाया है कि कई मामलों में जहां मुकदमे पर रोक लगाने के लिए कोई अंतरिम आदेश नहीं हैं, दोनों पक्षों के वकीलों के कहने पर, ट्रायल कोर्ट मामले पर आगे नहीं बढ़ रहे हैं।” इसलिए, मैं ट्रायल कोर्ट को अपनी कार्यवाही जारी रखने के लिए विशिष्ट निर्देश जारी करना उचित समझता हूं, जब तक कि किसी वरिष्ठ न्यायालय द्वारा उक्त कार्यवाही पर रोक नहीं लगा दी जाती है।”यह देखते हुए कि कई मामलों में ट्रायल कोर्ट स्थगन दे रहे हैं जहां मामले को रद्द करने की याचिका लंबित है।
न्यायमूर्ति ने यह टिप्पणियां सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका के जवाब में आईं, जिसमें पंजाब के एक गांव के एक सरपंच और अन्य लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 120-बी के तहत आपराधिक विश्वास उल्लंघन के लिए दायर एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी।
मामले की सुनवाई के दौरान, राज्य के वकील ने अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता इस आधार पर बार-बार स्थगन की मांग कर रहे हैं कि उच्च न्यायालय के समक्ष एक रद्दीकरण याचिका लंबित है।
न्यायमूर्ति बेदी ने कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित कई आदेशों में, याचिकाकर्ता को इस आधार पर स्थगन दिया गया था कि मामले को रद्द करने की कार्यवाही उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।
वहीं पीठ ने कहा, “इस तथ्य के बावजूद कि ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं है, फिर भी याचिकाकर्ता बार-बार इस आधार पर स्थगन की मांग कर रहे हैं कि एफआईआर को रद्द करने की वर्तमान याचिका इस अदालत के समक्ष लंबित है।”
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मामले पर गहनता से विचार करके न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह उपरोक्त आधार पर मामले को तब तक स्थगित न करें जब तक कि कार्यवाही पर रोक न लगा दी जाए। वहीं पीठ ने कहा कि इस आदेश की एक प्रति आवश्यक अनुपालन के लिए पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश, चंडीगढ़ के सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों और आवश्यक जानकारी के लिए न्यायिक अकादमी, सेक्टर 43, चंडीगढ़ के निदेशक को भी भेजी जाए। मामले की आगामी सुनवाई 29 फरवरी को होगी।