सत्यखबर सफीदों
रेल कर्मचारियों के संगठन उत्तर रेलवे मजदूर यूनियन के मण्डल अध्यक्ष अशोक कुमार ने मंगलवार को फोन पर हुई बातचीत में बताया कि रेल विभाग के सभी कैडरों के कर्मचारी पूरी तरह से संगठित होकर रेल सेवाओं के निजीकरण के विरोध मे हैं और क्योंकि रेल सेवाओं का निजीकरण ना तो कर्मचारियों के हित मे है, विभाग के हित मे और ना ही जनहित मे हैं इसका विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार निजीकरण की योजना को रद्द नही कर देती।
उन्होने बताया कि बीत गई 11 जुलाई को रेल के निजीकरण व रेल कर्मचारी विरोधी नीतियों के विरोध मे रेल कर्मचारियों ने सोशल डिस्टैंसिंग के साथ धरना देकर चेतावनी भेजी है कि यदि सरकार ने निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया गया तो कर्मचारियों को सडक़ों पर उतरकर प्रदर्शन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसके साथ ही उन साथियों को भी कड़ा संदेश दिया कि जो इस आंदोलन मे सक्रिय नहीं हैं कि सुरक्षित भविष्य के लिए वे सक्रिय हो जाएं अन्यथा बाद में पछतावा ही हाथ लगेगा।
उन्होंने मीडिया में वायरल उस समाचार का खण्डन किया जिसमे रेल निजीकरण का कारण एक वर्ग के कर्मचारियों को भ्रष्टाचारी को बताया गया है। अशोक कुमार ने कहा कि ऐसा नही है, सभी कैडर के कर्मचारी पूरी निष्ठा के साथ विभाग मे कार्यरत हैं और निजीकरण के विरोध मे भी डटे हैं।
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