सत्य खबर, गुरुग्राम,सतीश भारद्वाज :
Ramnath Kovind and former Governor of Maharashtra participated in cultural program
गुरुग्राम के सेक्टर 9 मे तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव मनाया जा रहा है। जिसका विधिवत उद्घाटन शनिवार को राज्यपाल दत्तात्रेय ने किया था।
रविवार को सांस्कृतिक कार्यक्रम में देश के पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र के पूर्व राज्य पर भगत सिंह कशयोरी ने शिरकत की। जिसमें पूर्व राष्ट्रपति ने अपने विचार लोगों से सांझा किए। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सेक्टर-9ए स्थित श्री एसएन सिद्धेश्वर स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय संस्कृति महोत्सव के दूसरे दिन के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए उम्मीद जाहिर की कि सोसायटी द्वारा बनाए जाने वाला भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को साकार करेगा। राष्ट्रपिता देश की भाषाओं पर जोर देते थे।
वह कहते थे कि हर भारतवासी को अंग्रेजी के साथ-साथ एक भारतीय भाषा का अवश्य ज्ञान होना चाहिए। देशवासियों को सभी भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। भाषाओं का सम्मान ही संस्कृति का सम्मान है। यह केंद्र भाषाओं के बीच की दूरियां मिटाने में भी मील का पत्थर साबित होगा। आदिकाल से ही भारत मे विभिन्न भाषाएं हैं, उसके बावजूद भी हमारी संस्कृति एक है। भाषाएं समाज को जोड़ने का कार्य करती हैं।
केंद्र सरकार का प्रयास है कि चिकित्सा, इंजीनियरिंग व अन्य उच्च पाठ्यक्रमों की पढ़ाई अंग्रेजी के अलावा भारतीय भाषाओं में भी हो। न्यायालयों में भी भारतीय भाषाओं में सुनवाई हो। इससे आम आदमी को न्याय मिल पाएगा। उन्हें गर्व है कि उनके समय में नई शिक्षा नीति बनी। प्रवासी भारतीयों पर भी देश को गर्व है जो अपनी प्रतिभा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति को जीवंत किए हुए हैं।
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पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि यह कार्यक्रम महाभारत काल से जुड़े गुरुग्राम में हो रहा है। यह बहुत ही खुशी का विषय है। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने का कार्य भी हरियाणा में किया जा रहा है। इससे प्रदेश का पुरातात्विक महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाएगा। वही
पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी ने कहा भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए कि भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र की सुगंध केवल गुरुग्राम तक ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में पहुंच रही है । देश में भाषाएं भले ही अलग-अलग हों, लेकिन उनके बोलने से पता चल जाता है कि वे क्या कह रहे हैं। भारत में भाषाएं तो अनेक हैं लेकिन उनके भाव एक ही है। यहां वेशभूषा, खाना, भाषा अलग होने के बाद भी संस्कृति एक है। भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देती है। उन्होंने युवाओं को आह्वान किया कि वे संस्कृति को पढ़ें और अपने ज्ञान को बढ़ाएं।
भारतीय भाषाएं राज्यों की संस्कृति को आगे बढ़ाने में सहयोगी हैं। सरस्वती नदी को पुनर्जीवित किए जाने की दिशा में प्रयास को ऐतिहासिक कार्य बताते बताया। कार्यक्रम में भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र के चेयरमैन व राज्यसभा के पूर्व महासचिव डा. योगेंद्र नारायण एवं केंद्र के महासचिव डा. अमित जैन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक पवन जिंदल, स्वामी रामेश्वरानंद, पद्मश्री डा. जितेंद्र सिंह शंटी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
Ramnath Kovind and former Governor of Maharashtra participated in cultural program