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राव इंद्रजीत ने बनाई डा.अरविंद शर्मा के प्रचार से दूरी, पहले यहां से कर चुके किनारा

सत्य खबर, चण्डीगढ़ ।
हरियाणा की गुरुग्राम सीट से चुनाव लड़ रहे बीजेपी कैंडिडेट और अहीरवाल के कद्दावर नेता राव इंद्रजीत सिंह पहली बार सीधे चुनावी मुकाबले में फंसते हुए नजर आ रहे हैं। पहले दो चुनाव में आसानी से जीत दर्ज करने वाले राव इंद्रजीत के सामने कांग्रेस ने फिल्म स्टार राज बब्बर को उतारा है।

राज बब्बर के चुनावी मैदान में आने और खुद की पार्टी के भीतर विरोधी गुट के नेताओं द्वारा प्रचार से पूरी तरह किनारा करने के कारण राव इंद्रजीत सिंह अपने ही घर में घिरते हुए दिखाई दे रहे हैं। यहीं कारण है कि स्टार प्रचारक होने के बावजूद वे दूसरी किसी सीट पर प्रचार तक नहीं करने जा पा रहे।

25 मई को हरियाणा में वोटिंग होनी हैं। चुनावी प्रचार खत्म होने में अब सिर्फ 3 दिन बचे हैं। रोहतक लोकसभा सीट बीजेपी के लिए काफी अहम है। इस सीट के तहत आने आने वाली रेवाड़ी जिले की यादव बाहुल्य कोसली विधानसभा सीट को राव इंद्रजीत सिंह के परिवार रामपुरा हाउस का दबदबा रहा है।

2019 के चुनाव में कोसली विधानसभा सीट की वजह से ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्‌डा के बेटे दीपेंद्र हुड्‌डा को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार कोसली में बीजेपी के कई सीनियर नेता प्रचार के लिए जरूर पहुंचे, लेकिन अभी तक राव इंद्रजीत सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी डा. अरविंद शर्मा के लिए एक बार भी प्रचार नहीं किया हैं। कुछ इसी तरह की स्थिति भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट हैं।

यहां से राव इंद्रजीत सिंह के खास चौधरी धर्मबीर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। धर्मबीर के नामांकन के बाद फैली अफवाह के डैमेज कंट्रोल के लिए राव इंद्रजीत सिंह ने एक दिन के लिए यादव बाहुल्य अटेली और महेंद्रगढ़ में दौरा किया, लेकिन उसके बाद से वे महेंद्रगढ़ जिले में भी प्रचार के लिए नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसके पीछे की कई वजह भी नजर आ रही है। राव इंद्रजीत सिंह खुद इस बार प्रचार में अलग-थलग नजर आ रहे हैं। शुरुआत में सीएम नायब सैनी ने नूंह और गुरुग्राम, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नूंह और रेवाड़ी में उनके पक्ष में जनसभाएं की, लेकिन अब राव इंद्रजीत सिंह और उनकी बेटी आरती राव ही चुनावी प्रचार में लगे हैं।

राव इंद्रजीत सिंह 5 बार के सांसद हैं। वे पिछले तीन चुनाव में 2009 से 2019 तक गुरुग्राम सीट से लगातार जीत दर्ज करते आ रहे हैं। 2014 और 2019 में एक तरफा चुनाव जीतने वाले राव इंद्रजीत सिंह को उम्मीद थी कि उनके सामने कांग्रेस किसी यादव चेहरे को ही खड़ा कर सकती हैं, जिससे उनकी जीत फिर से आसान हो जाएगी। लेकिन उनके सामने चुनौती पहली बार दिखाई दे रही हैं।

कैप्टन अजय सिंह यादव की टिकट काटकर कांग्रेस ने सभी समीकरण को पलटते हुए यहां से फिल्म स्टार राज बब्बर को उतार दिया। पंजाबी बिरादरी से आने वाले राज बब्बर का यहां से चुनाव लड़ना राव इंद्रजीत सिंह के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं।

भले ही टिकट वितरण में कांग्रेस ने काफी देरी की, लेकिन जिस तरीके से राज बब्बर गुरुग्राम से लेकर रेवाड़ी तक जोर शोर से प्रचार कर रहे है, उससे पंजाबी वोटर्स का बंटने की पूरी संभावनाएं दिख रही है। अगर ये वोट बैंक बंटा तो इसका सीधा नुकसान राव इंद्रजीत सिंह को उठाना पड़ सकता हैं।

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की पकड़ भले ही गुरुग्राम से लेकर नांगल चौधरी तक रही है, लेकिन पार्टी के भीतर ही उनके विरोधी नेताओं की सूची भी गुरुग्राम से लेकर नांगल चौधरी तक हैं। यहीं कारण है कि राव इंद्रजीत सिंह के बाद इस इलाके के बड़े नेताओं में गिने जाने वाले केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, पूर्व सांसद सुधा यादव, पूर्व कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह, पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास के अलावा अलग-अलग इलाकों में राव के विरोधी लोकल लीडर प्रचार से एक तरह से दूरी बनाएं हुए हैं। यहां तक की सीएम नायब सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल की रैली में राव के विरोधी गुट के नेता मंच पर तो जरूर पहुंचे, लेकिन यहां भी उनकी नाराजगी साफ देखी गई।

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