SGPC Election: हरजिंदर सिंह धामी बने चार बार के अध्यक्ष, बीबी जागीर कौर को मिले केवल 33 वोट
SGPC elections: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव SGPC मुख्यालय पर संपन्न हुआ, जिसमें हरजिंदर सिंह धामी ने जीत हासिल की। इस बार के चुनाव में शिरोमणि अकाली दल बादल के समर्थन वाले उम्मीदवार हरजिंदर सिंह धामी का मुकाबला शिरोमणि अकाली दल सुधार लहर की उम्मीदवार बीबी जागीर कौर से था। हरजिंदर सिंह धामी ने लगातार चौथी बार इस पद पर जीत दर्ज की है, जो नवंबर 2021 से जारी है। पिछले चुनाव में भी उन्होंने बीबी जागीर कौर को हराया था।
SGPC सदस्यों की स्थिति
SGPC हाउस के कुल 185 सदस्यों में से 31 सदस्यों की मृत्यु हो गई है, जबकि 6 सदस्यों ने किसी कारणवश SGPC की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। शेष 148 सदस्यों में से 142 ने आज चुनाव प्रक्रिया में भाग लिया। हरजिंदर सिंह धामी को 107 वोट मिले, जबकि बीबी जागीर कौर को केवल 33 वोट मिले। इस दौरान 2 वोट अमान्य घोषित किए गए।
अन्य पदों का चुनाव
प्रमुख पद के अलावा, आज तीन अन्य पदाधिकारियों और 11 कार्यकारी सदस्यों का भी चुनाव किया जाना है। प्रमुख, महासचिव, जूनियर डिप्टी प्रमुख और सीनियर डिप्टी प्रमुख के साथ-साथ 11 कार्यकारी सदस्यों का चयन किया जाएगा।
पंच तख्तों के सिंह साहिबों की भूमिका
प्रमुख के चुनाव के बाद, पदाधिकारियों और कार्यकारी सदस्यों का चयन सर्वसम्मति से किया जाता है। चुनाव प्रक्रिया में पांच तख्तों के सिंह साहिब भी शामिल होते हैं। हालांकि, इन सिंह साहिबों को वोट देने का अधिकार नहीं है, फिर भी वे चुनावों के शांतिपूर्ण और सुचारू संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
बीबी जागीर कौर का योगदान
बीबी जागीर कौर ने 1997 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की अध्यक्षता की जिम्मेदारी संभाली थी। वह SGPC की पहली महिला अध्यक्ष हैं। उन्होंने सभी सदस्यों से अपील की कि वे अपनी अंतरात्मा के आधार पर श्री अकाल तख्त के प्रति समर्पित रहें और उनके पक्ष में वोट डालें।
बीबी जागीर कौर ने कहा, “सदस्यों को सच और श्री अकाल तख्त साहिब के पक्ष में वोट डालना चाहिए, न कि सुखबीर बादल के SGPC सदस्यों के पक्ष में, जिन्हें सिख समुदाय से टंकहीया घोषित किया गया है।”
बादल परिवार का प्रभाव
बादल परिवार का SGPC पर प्रभाव 1990 के दशक से जारी है। दिवंगत प्रकाश सिंह बादल 1996 में SGPC के अध्यक्ष बने थे। तब से बादल परिवार इस पद पर नियंत्रण बनाए हुए है। हालिया विधानसभा चुनावों के बाद, पंजाब में अकाली दल का प्रभाव कम हुआ है। कुछ दिन पहले, अकाली दल दो भागों में विभाजित हो गया। विद्रोही नेताओं ने सुखबीर बादल को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की है।
हाल ही में, श्री अकाल तख्त साहिब ने सुखबीर बादल को टंकहीया घोषित किया है। इसके अलावा, अकाली दल ने पंजाब में चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव से भी दूरी बनाने का निर्णय लिया है।
चुनाव के परिणाम और भविष्य
हरजिंदर सिंह धामी की जीत ने एक बार फिर से SGPC में बादल परिवार के प्रभाव को स्पष्ट किया है। हालांकि, बीबी जागीर कौर का संघर्ष और उनके वोटों की संख्या यह दर्शाती है कि SGPC में कुछ परिवर्तन की संभावनाएं बनी हुई हैं।
जैसे-जैसे पंजाब में राजनीतिक स्थिति बदल रही है, SGPC चुनावों का भविष्य भी प्रभावित होगा। स्थानीय मुद्दों, जैसे कि धार्मिक और सामाजिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, ताकि SGPC के भीतर एक नई दिशा का निर्माण हो सके।
इस चुनाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि SGPC में नेतृत्व के लिए प्रतिस्पर्धा जारी रहेगी और स्थानीय नेताओं को अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से पेश करने की आवश्यकता है। भविष्य में, यह देखना दिलचस्प होगा कि SGPC किस दिशा में बढ़ता है और क्या यह पंजाब की राजनीतिक पृष्ठभूमि को प्रभावित करता है।
हरजिंदर सिंह धामी की जीत के बाद, अब उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वह SGPC की प्रतिष्ठा को बनाए रखें और समुदाय के उत्थान के लिए ठोस कदम उठाएं। इसके साथ ही, बीबी जागीर कौर और अन्य सदस्यों की आवाज को भी सुनना आवश्यक है ताकि SGPC एक समावेशी मंच बन सके।
इस तरह के चुनावों से यह संदेश मिलता है कि केवल एक राजनीतिक परिवार का प्रभाव ही नहीं, बल्कि स्थानीय समुदाय की इच्छाओं और अपेक्षाओं को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। SGPC के चुनाव ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि सिख समुदाय में विविधता और विचारों का आदान-प्रदान आवश्यक है।