20 crore business from funeral
सत्यखबर, नई दिल्ली। न किसी की मौत हुई हो, और ना ही किसी के रोने की आवाज आ रही हो, लेकिन सागर पवार (sagar panwar) और शंकर मसके (shankar maske) फिर भी अपने चेहरे पर गंभीर भाव लिए नारियल की रस्सी से बांस की अर्थी तैयार करते रहते हैं।
वहीं संजय रामगुडे़ अंतिम संस्कार से जुड़ी सभी विधियों को लेकर एक किताब उलट-पलट करते रहते हैं। दरअसल, संजय ही ‘सुखांत फ्यूरनर’ (founder of sukhant Furner )के फाउंडर एंड डायरेक्टर हैं जिसकी चर्चा पिछले कुछ दिनों से है। अंतिम संस्कार से जुड़ी सभी व्यवस्थाएं देने वाला ये स्टार्टअप ‘सुखांत’ (startup of ‘Sukhant’) सोशल मीडिया पर वायरल है।20 crore business from funeral
अर्थी पर बिखरे फूल-पत्ती, 10 हजार से लेकर 40,000 रुपए तक में अंतिम संस्कार (satraup of funeral ) की सारी विधियां, कफन से लेकर अर्थी को कंधा देने के लिए चार लोग, बाल मुंडवाने के लिए नाई, अलग-अलग धर्मों के लिए पंडित, मौलवी, पादरी… और यहां तक कि अस्थि विसर्जन। यानी किसी के जीवन की अंतिम यात्रा का पूरा साजो-सामान।
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सुखांत के फाउंडर संजय बताते हैं कि आखिर अर्थी को कंधा देने, अंतिम संस्कार की पूरी विधि करने के लिए एक कंपनी की जरूरत क्यों पड़ी?
संजय रामगुड़े का दावा है कि भारत में अंतिम संस्कार की प्री प्लानिंग करने वाली उनकी ये पहली कंपनी है। वो कहते हैं, ‘सबसे पहले मैं एक चीज क्लियर करना चाहता हूं। हमारे जिस स्टॉल को दिल्ली में लगने वाले ‘इंटरनेशनल ट्रेड फेयर’ का बताया जा रहा है, वो मुंबई के ठाणे में 12-13 नवंबर को हुए एक बिजनेस अवॉर्ड शो का है।20 crore business from funeral
सुखांत’ की शुरुआत को लेकर वे बताते हैं, ’30 साल पहले बनारस में मणिकर्णिका घाट के आसपास एक फिल्म की शूटिंग कर रहा था। मैंने देखा कि एक तरफ लोगों के आंसू डबडबा रहे हैं। चिता को मुखाग्नि देते वक्त परिजनों के हाथ कंपकपा रहे हैं और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया कराने से जुड़े लोग पैसों की लूट कर रहे हैं।
जिसका जवान बेटा मर गया है, भरी जवानी में बाप ने दुनिया छोड़ दी है, उस परिवार से भी रकम की बोली लगाई जा रही है।
नाई सिर में लगे बाल के एक हिस्से की शेविंग करके छोड़ दे रहा है, ताकि उसे बाकी हिस्से को क्लीन करने के लिए ज्यादा पैसे मिले। सिर्फ शेविंग के लिए नाई 2,000 रुपए तक मांग ले रहा है। यही हाल पंडित से लेकर चिता सजाने वाले तक का है।’
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