Supreme Court’s tough stand
सत्य खबर, नई दिल्ली । देश में कथित नफरत के माहौल से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के पुलिस प्रमुखों को किसी भी धर्म के व्यक्तियों द्वारा किए गए किसी भी हेट स्पीच इवेंट के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज करने के कड़े आदेश दिए और चेतावनी भी दी कि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की बेंच ने कहा, ”यह 21वीं सदी है। हमने भगवान को कितना छोटा बना दिया है। अनुच्छेद 51 कहता है कि हमें वैज्ञानिक सोच रखनी चाहिए और धर्म के नाम पर यह दुखद है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि देश में नफरत का माहौल बन गया है।Supreme Court’s tough stand
सुप्रीम कोर्ट बोला- देश में नफरत का माहौल
जनहित याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने कहा, ”शिकायत बहुत गंभीर लगती है, क्योंकि देश में नफरत का माहौल बन गया है। मामले की जांच की जरूरत है। हमें लगता है कि न्यायालय को मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और कानून के शासन को बनाए रखने का काम सौंपा गया है। पुलिस प्रमुख – दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड – क्या कार्रवाई की गई है, इस पर रिपोर्ट देंगे। वे यह सुनिश्चित करेंगे कि जब कोई भी भाषण भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 153बी, 295ए और 505 के तहत प्रावधानों को आकर्षित करता है, तो बिना किसी शिकायत के अपराधियों के खिलाफ स्वत: कार्रवाई की जाए।
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कोर्ट ने आगे यह स्पष्ट किया कि न्यायालय द्वारा पारित आदेश पर कार्रवाई करने में प्रतिवादियों की ओर से किसी भी अक्षमता को न्यायालय की अवमानना के रूप में देखा जाएगा। तीन पुलिस प्रमुखों को निर्देश देते हुए, बेंच ने कहा, “प्रतिवादी किसी भी धर्म के लोगों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त आदेश पारित करेंगे, ताकि देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बचाया जा सके।”Supreme Court’s tough stand
कोर्ट से बोले सिब्बल- किसी ने तो हमारी बात सुनी
याचिका में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संसद सदस्य के एक बयान का भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने मुसलमानों के सामाजिक बहिष्कार और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा का आह्वान किया था। बेंच ने कहा, ”ये बयान निश्चित रूप से उस देश के लिए बहुत कड़े हैं, जो लोकतंत्र और धर्म-तटस्थ होने का दावा करता है।” वहीं, सुनवाई के आखिर में सिब्बल ने कोर्ट से कहा, ”कम से कम किसी ने तो हमारी बात सुनी.” याचिका में मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषणों की अलग-अलग घटनाओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की गई है। आरोप लगाया गया है कि कुछ मामलों में कार्यक्रमों के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, लेकिन भाषण देने वालों के खिलाफ नहीं।
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