Surma Karan Dalal of politics is roaming Europe
सत्य खबर,चंडीगढ़
दक्षिण हरियाणा की सियासत का बड़ा नाम है करन दलाल । इन दिनों अपने परिवार के साथ यूरोप घूम रहे है। आयरलैण्ड, जर्मनी, ब्रिटेन की कई तस्वीरें उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट पर लगाई है। करीब 15 दिन हो चुके है उन्होंने यूरोप के कई शहर घूम चुके है। अच्छी बात है। वहाँ जाकर भी वो अपने देश को नही भूले है। वहाँ आज़ादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाया तो आयरलैंड में आयोजित एक कृष्ण जन्माष्टमी के समारोह में भी शामिल हुए है। उनके साथ इन तस्वीरों में उनकी पत्नी भी साथ दिखाई दे रही है। राजनीतिक नेताओ के लिए ये अच्छी बात है कि वो अपने व्यस्त सियासी जीवन के कुछ सुकून के पल बिताने के लिए विदेश टूर पर निकल जाते है। वहां से तरोताज़ा हो कर लौटेंगे तो जनता के सवालों को ज्यादा संजीदगी के साथ उठाएंगे। वैसे करण दलाल, दक्षिण हरियाणा की राजनीति के दिग्गजो में शुमार है। जनता से जुड़ाव का ही नतीजा है कि वो 5 बार विधायक रह चुके है। आज कांग्रेस में है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समधी भी है। लेकिन उनकी राजनीतिक सफर की बात की जाए तो वो कांग्रेस विरोध से ही शुरू हुई थी।एक समय बंसीलाल के काफी करीब हुआ करते थे।Surma Karan Dalal of politics is roaming Europe
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इतने करीब की चौधरी बंसीलाल ने इन्हें दक्षिण हरियाणा का मुख्यमंत्री ही बता दिया था। उस समय कांग्रेस में भजन लाल ही सर्वेसर्वा होते थे। वही मुख्यमंत्री थे। उन्ही से मतभेद के कारण बंसीलाल ने अलग हरियाणा विकास पार्टी बनाई थी। 1991 में पहली बार हरियाणा विकास पार्टी से विधायक बने। इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दक्षिण हरियाणा में जाकिर हुसैन के साथ इकलौते विपक्षी नेता थे जो पलवल से विधायक बना था। इनकी सरकार तो नही बनी लेकिन 5 साल इन्होंने गुरुग्राम, फरीदाबाद में ऐसा आंदोलन छेड़ा की । 1996 में बंसीलाल की सरकार बन गई। दलाल सरकार में मंत्री बन गए। दक्षिण हरियाणा से इतने विधायक जीते थे कि बंसीलाल को हरदम ये डर सताता था कि कहीं दलाल पार्टी छोड़ न दे और उनकी सरकार गिर जाए। और वही हुआ। 1999 में हरियाणा विकास पार्टी की सरकार गिर गई और ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बन गए।Surma Karan Dalal of politics is roaming Europe
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चौटाला को मुख्यमंत्री बनवाने में करन दलाल ने बड़ी भूमिका निभाई थी। सरकार बनाने के लिए जो जरूरी विधायको की जरूरत थी वो करण दलाल ने ही ओम प्रकाश चौटाला को उपलब्ध कराए थे। ओम प्रकाश चौटाला अक्सर ये बात कहा करते है कि राज और खाज खुद ही करने में मजा आता है। ऐसे में वो नही चाहते थे कि करण दलाल की शख्सियत इतनी बड़ी हो कि वो एक दिन उनके लिए ही चुनौती बनकर खड़े हो जाए। साल 2000 में इनेलो का बीजेपी से गठबंधन हो गया। करन दलाल भी बीजेपी में शामिल हो गए लेकिन ओम प्रकाश चौटाला ने बीजेपी को करण दलाल को टिकट नही देने दिया। तब दलाल आरपीआई से चुनाव लड़े और जीत गए। 5 साल उन्होंने चौटाला के खिलाफ खूब संघर्ष किया। और कांग्रेस में शामिल हो गए। 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस से मुख्यमंत्री बने। इधर करन दलाल हुड्डा के समधी ही बन गए। तब से जबतक हुड्डा मुख्यमंत्री रहे । करण दलाल की भी खूब चली। हालांकि बीच मे वो 2009 का चुनाव जरूर हारे। लेकिन आज भी उन्हें पलवल से चुनौती देने वाला नही दिखाई देता है। अपने राजनीति जीवन मे कई सरकारों को बनाया और गिराया ।
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