real story of popatlal Tarak Mehta serial
सत्यखबर, मुंबई।
तारक मेहता का उल्टा चश्मा सीरियल (Taarak Mehta ka ulta chashma) जितना फेमस है, उसके कैरेकेटर्स उससे भी ज्यादा पॉपुलर हैं. लेकिन इस फेम को पाने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है. तारक मेहता सबसे लंबा चलने वाला एक ऐसा सिटकॉम है, जिसके सितारे सभी को अपने से लगते हैं. जाहिर है, उनकी स्ट्रगल स्टोरी भी उतनी ही यूनीक होगी.real story of popatlal Tarak Mehta serial
सीरियल में पोपटलाल का कैरेक्टर प्ले करने वाले एक्टर श्याम पाठक (actor shyam pathak) आज भले ही लाखों लोगों के चहेते हैं. लेकिन कभी श्याम एक गरीब सेल्समैन हुआ करते थे. उनके मन में एक्टिंग करने का एक कीड़ा था, जिसकी वजह से वो आज अपनी मेहनत और टैलेंट के बलबूते इस मुकाम पर हैं. श्याम ने बताया कि कैसे उन्होंने इस सफर को तय किया और कैसे इस फेम को हासिल किया.
मुंबई के घाटकोपर में जन्मे श्याम पाठक ने अपने जीवन के 25 साल गरीबी में गुजारे. श्याम ने बताया कि कैसे उन्हें एक्टिंग करने का ख्याल आया. श्याम ने बताया कि बचपन में वो एक बाल संस्कार कार्यक्रम में जाया करते थे, जहां सालाना एक नाटक किया जाता था. जहां मुझे मेन रोल के लिए सिलेक्ट किया जाता था. मैं 6-7 साल का था, लोग मेरे लिए तालियां बजाते थे, मेरी एक्टिंग की खूब तारीफ करते थे. वहीं से मेरे अंदर ये बात घर कर गई थी. मेरे अंदर तभी से ये सपना पल रहा था कि मैं एक्टर बनूं.
श्याम ने कहा कि स्कूल में तो मैं काफी एक्टिव था ही, स्कूल को रिप्रेजेंट भी करता था. लेकिन कॉलेज तक आते-आते मुझे पढ़ाई के साथ साथ जॉब करनी पड़ी. मेरे घर की हालत ठीक नहीं थी, खर्चा चलाने के लिए कमाना जरूरी था. तो मैंने एक कपड़े की दुकान में सेल्समैन की जॉब पकड़ी. मैंने और भी कई तरह के काम किए लेकिन सेल्समैन के तौर पर जो काम किया वहां बहुत सराहना मिलती थी. वहां के मालिक ने एक रूल बनाया था कि जो भी कस्टमर आएगा सबसे पहले मैं अटेंड करूंगा. कभी-कभी बहुत शर्मिंदगी भी होती थी, क्योंकि कॉलेज की कई लड़कियां अपनी मम्मी के साथ आती थीं, तो मुझे वहां काम करते देखती थीं.
श्याम ने कहा- मेरी मां चाहती थी कि मैं चार्टेड अकाउंटेंट बनूं. मैंने उसकी तैयारी भी की. लेकिन मन में कहीं ना कहीं वो एक्टर बनने की ख्वाहिश बाकी थी. मैं अपने काम से इनकम टैक्स ऑफिस जाता था, तब वहां बगल में नेशनल सेंटर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स का बोर्ड देखा, तो बड़ी हिम्मत कर के अंदर गया और सालाना 25 रुपये का सब्सक्रिप्शन लिया. मेरा सपना फिर से उड़ान भरने लगा था.
श्याम ने बताया – मैं ऐसे समाज से आता हूं, जहां अगर मैं ये कहूं कि मुझे एक्टर बनना है तो लोग हंसेंगे. मुझसे कहा जाएगा कि जॉब कर, शादी कर और सेटल हो जा. कहां इन चक्करों में पड़ रहा है. लेकिन पता नहीं कैसे मेरे अंदर इतनी हिम्मत आ रही थी कि मैं किसी को बिना बताए आर्ट्स लाइब्रेरी जाता था, जहां मेरी मुलाकात थियेटर के लोगों से हुई. मेरे पास थियेटर देखने के पैसे नहीं होते थे, तो रिक्वेस्ट करने पर बैक स्टेज देखने का मौका मिलता था. जहां से मेरी जान पहचान शुरू हुई और पृथ्वी थियेटर के एक वर्कशॉप का पता चला. मेरे सीए के फाइनल एग्जाम नजदीक थे, लेकिन पढ़ाई में मन नहीं लगता था. आखिरी पेपर देकर मैं तुरंत वहां गया और राजा की रसोई नाटक में एक नैरेटर का रोल मिला.
श्याम ने कहा- जो भी हुआ वो मेरे विश्वास से परे था. मुझे आज भी यकीन नहीं होता कि कहां मैं एक लोवर मिडल क्लास फैमिली, चॉल में रहने वाला लड़का, और मैं पृथ्वी थियेटर में परफॉर्म कर रहा था. उस ग्लैमर वर्ल्ड को तो हम जानते हैं, लेकिन उसके पीछे कितनी मेहनत लगती है, ये समझना बहुत मुश्किल है. मैंने स्क्रेच से अपने करियर की शुरुआत की है. थियेटर्स में नाम जमाने के बाद मैंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में भी एडमिशन लिया. फिर मैंने प्रोफेशनल लेवल पर एक्टिंग करनी शुरू की. मेरे मम्मी-पापा राजी नहीं थे, लेकिन मैंने उन्हें मनाया. मेरे पास कोई गॉडफादर नहीं थे, मेरे पास सिर्फ मेरी मेहनत थी.real story of popatlal Tarak Mehta serial
श्याम पाठक ने जस्सूबेन जयंतीलाल की ज्वाइंट फैमिली, एक चाबी है पड़ोस में, सोनपरी, सुख बाय चांस, और तारक मेहता का उल्टा चश्मा जैसे सीरियल्स में काम किया है.
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