haryana assembly speaker drop govt & made cm
पॉलिटिकल डेस्क, सत्यखबर। हरियाणा में साल 1967 में एक दौर ऐसा भी आया जब विधानसभा के स्पीकर ने ही सरकार गिरा दी और खुद मुख्यमंत्री बन गए। महज 8 दिन के भीतर ही दल-बदल का ऐसा खेल चला कि सरकार गिर गई और इसी दौर में आया राम गया राम की कहावत भी चलन में आई। वो स्पीकर थे राव बीरेंद्र सिंह, जो हरियाणा के तीसरे मुख्यमंत्री बने। उन्होंने भगवत दयाल शर्मा की कुर्सी गिरा दी। शर्मा महज 7 दिन तक सीएम की कुर्सी पर टिक सके। उस समय वे हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष थे। सियासी किस्सों की सीरिज में आज आपको बताते हैं कि आखिर कैसे एक स्पीकर ही अपनी सरकार को गिराया और फिर कैसे वे मुख्यमंत्री बन बैठे। haryana assembly speaker drop govt & made cm
1 नवम्बर 1966 को हरियाणा का गठन हुआ। उस समय चूंकि हरियाणा के हिस्सों में 1962 के चुनावों में कांग्रेस ने अधिक सीटों पर जीत हासिल की थी। ऐसे में हरियाणा में पहली सरकार कांग्रेस की बनी। भगवत दयाल शर्मा को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया। 21 फरवरी 1967 को हरियाणा में पहले विधानसभा चुनाव हुए। चउस समय 81 सीटें थीं। कांग्रेस को 48 जबकि भारतीय जनसंघ को 12 सीटों पर जीत मिली। 16 आजाद विधायक निर्वाचित हुए। यमुनानगर से विधायक चुने गए भगवत दयाल शर्मा 17 मार्च 1967 को मुख्यमंत्री बने। संयुक्त पंजाब की सियासत के समय से चौधरी देवीलाल, राव बीरेंद्र ङ्क्षसह, चौधरी रणबीर ङ्क्षसह हुड्डा का असर शर्मा से कहीं अधिक था। देवीलाल खुद 1952, 1958, 1962 में विधायक रह चुके थे।
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वे प्रताप ङ्क्षसह कैरों सरकार में संसदीय सचिव रहने के अलावा पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। चौधरी देवीलाल ने विधानभा का चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन उनके बेटे प्रताप चौटाला ऐलनाबाद से विधायक चुने गए। खैर हाईकमान की पसंद भगवत दयाल शर्मा थे। पटौदी से विधायक बने राव बीरेंद्र ङ्क्षसह किसी तरह से विधानसभा के स्पीकर बनने में सफल हो गए। राव बीरेंद्र ङ्क्षसह भी कद्दावर नेता थे। कई बार विधायक रह चुके थे और अहीरवाल में उनका अपना एक दबदबा था। ऐसे में यह माना जा रहा था कि भगवत दयाल शर्मा अधिक समय तक टिक नहीं पाएंगे। राव बीरेंद्र ङ्क्षसह लगातार शर्मा की कुर्सी गिराने की जुगत में लगे थे। उस दौरान दल-बदल का बड़ा खेल चला। आया राम गयारााम की कहावत भी तब चलन में आई। गया लाल 1967 में फरीदाबाद के हसनपुर से आजाद विधायक निर्वाचित हुए। गयालाल ने 10,458 वोट हासिल करते हुए कांग्रेस के एम. सिंह को 360 वोटों के अंतर से हराया। बाद में गयालाल कांग्रेस में शामिल हो गए। एक ही दिन में गयालाल ने तीन बार दल-बदली की। वे कांग्रेस से जनता पार्टी में गए। कुछ ही घंटे बाद फिर से कांग्रेस में चले आए। फिर जनता पार्टी में चले गए और अंतत: फिर कांग्रेस में शामिल हुए।
इसके बाद चंडीगढ़ में पत्रकारों के समक्ष तत्कालीन मुख्यमंत्री राव बीरेंद्र ङ्क्षसह ने कहा कि ‘गया लाल अब आया राम हो गए।’ तभी से हरियाणा में आया राम गया राम की कहावत ने केवल चलन में आई, बल्कि इसके बाद तो साढ़े पांच दशक में इस राज्य ने अनेक बार दल-बदल के ऐसे दृश्य देखे, जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चोट पहुंची। उसी दौर में विधायकों के 20-20 हजार रुपए लेकर दल बदलने के किस्से सामने आए। इसी सुगबुगाहट के बीच बीरेंद्र ङ्क्षसह ने कई विधायकों को अपने पाले में कर लिया। दो दर्जन से अधिक नेताओं ने दलबदल किया। भगवत दयाल शर्मा के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाया गया। राव बीरेंद्र ङ्क्षसह को मोर्चे का नेता चुन लिया गया। राव बीरेंद्र ङ्क्षसह ने काफी विधायक अपने पाले में कर लिए। 23 मार्च को भगवत दयाल शर्मा की कुर्सी गिर गई और राव बीरेंद्र ङ्क्षसह हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए।
बीरेंद्र ङ्क्षसह को मुख्यमंत्री बनाने में चौधरी देवीलाल का भी योगदान रहा। इससे पहले भगवत दयाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे देवीलाल का भी अहम योगदान रहा। कुछ माह बाद ही मार्च माह में चौधरी देवीलाल और राव बीरेंद्र ङ्क्षसह ने मिलकर भगवत दयाल शर्मा को हटवा दिया। इसके बाद राव बीरेंद्र ङ्क्षसह मुख्यमंत्री बन गए। देवीलाल ने नवम्बर 1967 में राव बीरेंद्र ङ्क्षसह को भी कुर्सीविहीन कर दिया और इसके बाद कुछ समय तक हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लागू रहने के बाद 1968 में विधानसभा का चुनाव हुआ। हरियाणा में 1967 में भगवत दयाल शर्मा का मुख्यमंत्री बनना और फिर विधानसभा के स्पीकर की ओर से ही उनकी कुर्सी गिरा देना वास्तव में हैरान करने वाला किस्सा है। haryana assembly speaker drop govt & made cm
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