राष्‍ट्रीय

महाराष्ट्र के दोनों गठबंधनों में सीटों को लेकर टकराव बढ़ा

The conflict over seats increased between the two alliances in Maharashtra

सत्य खबर/नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही विभिन्न राज्यों में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. कई राज्यों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सीटों के बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया गया है, लेकिन महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन (एमवीए) में शामिल दलों के बीच अधिक से अधिक सीटें जीतने की होड़ मची हुई है. दोनों गठबंधनों की तमाम कोशिशों के बावजूद सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई. हालाँकि, विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस संबंध में कई दौर की बैठकें की हैं।

अब सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में सभी की निगाहें गृह मंत्री अमित शाह के महाराष्ट्र दौरे पर हैं। अब सत्तारूढ़ गठबंधन में सीट बंटवारे का मसला अमित शाह ही सुलझाएंगे. दूसरी ओर, विपक्षी दलों के महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सीट बंटवारे का मुद्दा भी नहीं सुलझ पाया है. इस संबंध में मंगलवार को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एनसीपी संस्थापक शरद पवार के साथ लंबी बैठक भी की, लेकिन दोनों नेता अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं.

शिंदे और पवार गुट ने पैदा की समस्या

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी के साथ-साथ शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित गुट) शामिल हैं. हालांकि इस गठबंधन में कई अन्य पार्टियां भी शामिल हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव को देखते हुए इन पार्टियों की ओर से सीटों को लेकर कोई दावा पेश नहीं किया गया है. सत्ताधारी गठबंधन में बाहर से सब कुछ शांत दिख रहा है लेकिन अंदर ही अंदर आग जल रही है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने राज्य की 22 लोकसभा सीटों की सूची सामने रखी है।

दरअसल, असली शिवसेना का दर्जा और चुनाव चिह्न मिलने के बाद शिंदे गुट के दाम बढ़ गए हैं. शिवसेना में बगावत के दौरान पार्टी के 18 में से 13 सांसद शिंदे के साथ आ गए थे. अब शिंदे गुट ने इन तेरह सांसदों की सीटों के अलावा 9 और सीटों की मांग पेश की है. शिंदे ने मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह से भी इस मुद्दे पर चर्चा की.

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बीजेपी ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है

वहीं, एनसीपी का असली नाम और चुनाव चिह्न मिलने के बाद राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार ने भी 10 सीटों पर नजरें गड़ा दी हैं. वहीं, राज्य में बड़ी ताकत मानी जाने वाली बीजेपी इन दोनों पार्टियों को इतनी सीटें देने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है. बीजेपी की ओर से इन दोनों पार्टियों को कम से कम लोकसभा सीटों पर मनाने की कोशिश की जा रही है, हालांकि अब तक उसे इस काम में सफलता नहीं मिल पाई है.

अब माना जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राज्य के डिप्टी सीएम अजित पवार से बात करेंगे और सीट बंटवारे के मुद्दे को सुलझाने की दिशा में कदम उठाएंगे.

दरअसल, प्रदेश स्तर के नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी भी विभिन्न सीटों को लेकर शुरू हुई खींचतान खत्म नहीं हो रही है. जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे का मसला बुधवार तक सुलझ जाने की उम्मीद है.

एमवीए में भी सीट शेयरिंग का मामला उलझा

वहीं, विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद भी सीट बंटवारे का मुद्दा नहीं सुलझ सका है. दरअसल, विपक्षी गठबंधन में शामिल सभी दलों के बीच ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने की होड़ मची हुई है. एमवीए में कांग्रेस, एनसीपी के अलावा शरदचंद्र पवार और शिवसेना (यूबीटी), प्रकाश अंबेडकर, किसान नेता राजू शेट्टी और कोल्हापुर से छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज साहू सीटों पर अड़े हुए हैं।

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कांग्रेस शिवसेना और एनसीपी के बीच बंटवारे और इन दोनों पार्टियों को ज्यादा सीटें न देने की दलील दे रही है. वहीं, दोनों पार्टियां 2019 से कम सीटें लेने को तैयार नहीं हैं. कांग्रेस का कहना है कि पार्टी महाराष्ट्र में पूरी तरह से एकजुट है और ऐसे में पार्टी की चुनावी संभावनाएं इन दोनों पार्टियों से ज्यादा मजबूत हैं.

संकट सुलझाने में जुटे शरद पवार और उद्धव

शिवसेना क उद्धव ठाकरे गुट ने राज्य में 23 लोकसभा सीटों की मांग की है. पार्टी नेताओं का कहना है कि 2019 की तरह इस बार भी पार्टी को इतनी सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिलना चाहिए. प्रकाश अंबेडकर गुट की ओर से भी सीटों की भारी मांग रखी गई है. महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सीट बंटवारे के मुद्दे को सुलझाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी संस्थापक शरद पवार के बीच कल एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि डेढ़ घंटे तक चली बैठक में क्या फैसला लिया गया.

प्रकाश अंबेडकर की पार्टी ने 2019 में राज्य की 47 सीटों पर चुनाव लड़ा और 14 फीसदी वोट हासिल किए. पार्टी एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही लेकिन उसने कई सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार को हरा दिया. इस कारण कांग्रेस प्रकाश अंबेडकर को नाराज करने की स्थिति में नहीं दिख रही है. ऐसे में विपक्षी गठबंधन में सीटों को लेकर खींचतान तेज हो गई है. माना जा रहा है कि अब कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के हस्तक्षेप के बाद ही यह मसला सुलझ पाएगा.

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