सत्य खबर चंडीगढ़, सतीश भारद्वाज :The Punjab and Haryana High Court heard the Gurugram and Nuh vandalism cases. DC Nuh and Gurugram responded.
हरियाणा उच्च न्यायालय में शुक्रवार को गुरुग्राम और नुहू जिले में सरकार द्वारा की गई तोड़फोड़ के मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की अदालत में हुई। हरियाणा सरकार की तरफ से पेश हुए एजी दीपक सभरवाल ने अदालत को बताया कि नूंह मुस्लिम बहुल क्षेत्र है इसलिए विध्वंस अभियान से 71 हिंदू और 283 मुस्लिम प्रभावित हुए हैं। सभरवाल का कहना है कि सरकार ने कहा है कि जातीय नरसंहार का मामला नहीं है।
जिले में 31 जुलाई की सांप्रदायिक हिंसा के बाद कथित अवैध विध्वंस अभियान के खिलाफ याचिका के जवाब में नूंह के उपायुक्त धीरेंद्र खडगटा ने जवाब दायर किया ।
वही राज्य के जवाब में यह भी बताया गया है कि नूंह की पुन्हाना तहसील में मुसलमानों की आबादी 87 फीसदी और फिरोजपुर झिरका में 85 फीसदी है। सरकार ने न्यायमूर्ति रविशंकर झा और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की पीठ के समक्ष यह दलील दी, जिसके बाद राज्य को अदालत की रजिस्ट्री में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया।
तोड़फोड़ अभियान पर सवाल उठाते हुए उच्च न्यायालय ने इस सप्ताह की शुरुआत में पूछा था कि क्या “कानून और व्यवस्था की समस्या की आड़ में” एक “विशेष समुदाय” की संपत्तियों को निशाना बनाया गया था क्या यह सही था। वही हलफनामे में यह भी कहा गया है कि निर्माण को ध्वस्त करने से पहले कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया गया है।
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सरकार ने न्यायमूर्ति रविशंकर झा और न्यायमूर्ति अरुण पल्ली की पीठ के समक्ष यह दलील दी, जिसके बाद राज्य को अदालत की रजिस्ट्री में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया। इसी प्रकार गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर निशांत कुमार यादव ने कहा कि राज्य सरकार ने अतिक्रमण के संबंध में विवरण एकत्र करते समय जाति, पंथ और धर्म के संबंध में कोई जानकारी एकत्र नहीं की। बल्कि सभी अतिक्रमणकारियों से एक ही तरीके से निपटा गया।
सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय ने बार-बार राज्य सरकारों और स्थानीय अधिकारियों को सरकारी/पंचायतों/स्थानीय निकायों की भूमि पर स्थायी/अस्थायी निर्माणों के माध्यम से अनधिकृत अतिक्रमण को ध्वस्त/हटाने का निर्देश दिया है। विचाराधीन विध्वंस अनधिकृत/कब्जाधारियों या अवैध संरचनाओं के खिलाफ स्वतंत्र स्थानीय अधिकारियों द्वारा उठाए गए नियमित उपाय थे । अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने बाद में अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि सरकार ने अपने जवाब में स्पष्ट रूप से कहा है कि यह जातीय नरसंहार का मामला नहीं है। अदालत द्वारा केवल आशंकाएं जताई जा रही थी।