The secret of youth joining PFI
सत्य खबर, नई दिल्ली
पीएफआई से युवकों को जोड़ने के लिए उसके सदस्य कई तरह की आधुनिक सुविधाएं देते थे। प्रशिक्षण के दौरान व बाद में घूमने-फिरने का इंतजाम करते थे। ताकि अन्य युवक भी तेजी से जुड़ें। प्रशिक्षण के लिए दूसरे जिलों के ट्रेनिंग सेंटर पर भेजा जाता था। वहां लग्जरी सुविधाएं दी जाती थीं। प्रशिक्षण ले रहे युवकों से अपने दोस्तों के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सुविधाओं के फोटो भेजने के निर्देश भी रहते थे।The secret of youth joining PFI
यह बात ऑल इंडिया उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष व एसडीपीआई के सक्रिय सदस्य मो. अहमद बेग नदवी ने रिमांड के दूसरे दिन पूछताछ में कुबूलीं। उससे इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) के अधिकारियों ने चार घंटे तक पूछताछ की। पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष वसीम से उसके करीबी रिश्ते हैं। दोनों मिलकर यूपी में बड़ा नेटवर्क तैयार कर रहे थे।
इस खुलासे के बाद ही अहमद बेग को मदेयगंज पुलिस ने रिमांड पर लिया था। रविवार को एसीपी, आईबी के अफसरों ने अहमद बेग से उसके नेटवर्क के बारे में कई सवाल किये। अहमद बेग ने कुबूला कि उसके उन्मादी भाषण भी यू-टयूब के जरिये प्रशिक्षण ले रहे युवकों को सुनाए जाते थे। इससे ब्रेनवॉश की कोशिश रहती थी।The secret of youth joining PFI
आईबी अफसरों के अनुसार, अहमद बेग से जब ये पूछा गया कि लखनऊ से अब तक पकड़े गए अन्य आठ लोगों से संपर्क था या नहीं। इस पर वह चुप रहा। बाद में कुबूला कि सिर्फ वसीम से ही मिला है। दो लोगों से व्हाटसएप कॉल के जरिये बात हुई थी। उम्मीद है कि सोमवार को एनआईए की टीम पूछताछ करेगी। इसके बाद उसे बहराइच ले जाएंगे।
सरकार को गलत साबित करने के लिए करा रहे थे जनमत संग्रह
सरकार व उसकी नीतियों को गलत साबित करने के लिए पीएफआई नए तरीके से विरोध कर रहा था। इसके लिए पीएफआई की एक टीम सोशल मीडिया पर सक्रिय रहती थी। वह सरकार की नीतियों व योजनाओं के संबंध में जानकारी जुटाती और सक्रिय सदस्यों के बीच में भेजकर जनमत संग्रह कराती थी। पीएफआई इसके जरिये सरकार को गलत साबित करने में जुटा था। इसके कई प्रमाण पकड़े गये सदस्यों के मोबाइल से मिले हैं।The secret of youth joining PFI
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सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, पीएफआई ने सोशल मीडिया पर लोगों से जुड़ने के लिए एक विशेष सेल का गठन किया था। इसे टेक्नोक्रेट सोशल मीडिया का नाम दिया था। इससे जुड़े सदस्य आधा दर्जन से अधिक यू-ट्यूब न्यूज चैनल चला रहे थे। 350 से अधिक सोशल मीडिया ग्रुप संचालित कर रहे थे। इन पर सरकार की योजनाओं की डिटेल डालते थे और मुस्लिम विरोधी करार देते।
इसके बाद सरकार के खिलाफ जनमत संग्रह कराने के लिए कुछ समय तक वोटिंग कराते थे। यू-ट्यूब चैनल पर कुछ मुस्लिम नेताओं को बैठाकर बहस भी कराते थे। इसके प्रसारण के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते थे।The secret of youth joining PFI
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, पीएफआई के सक्रिय सदस्य उलेमा काउंसिल की मदद से धार्मिक उन्माद फैलाने वाले वीडियो तैयार करते थे। लोगों तक संदेश आसानी से पहुंचे, इसके लिए हर गांव व मोहल्लों में कई ग्रुप बना रखे थे। ऐसे ज्यादातर ग्रुप एडमिन ही संचालित करता था। इन ग्रुपों में ज्यादातर अहमद बेग नदवी के भड़काऊ वीडियो ही वायरल किए गए थे।
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