सत्य खबर,गुरुग्राम, सतीश भारद्वाज :The Supreme Court has dismissed a petition challenging the Punjab and Haryana HC order on M3M directors.
देश की रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी के निदेशक व एक सीबीआई के पूर्व जज ईडी के शिकंजे में फंसे हुए हैं इस मामले को लेकर कंपनी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई सोमवार को होनी थी समय अभाव के कारण सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी। जिससे m3m निर्देशकों को झटका लगा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 4 सितंबर को रियल एस्टेट दिग्गज एम3एम के निदेशकों पंकज बंसल और बसंत बंसल द्वारा दायर अपील की सुनवाई 13 सितंबर तक के लिए टाल दी है। याचिका में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उन्हें रिहा करने से इनकार करने के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए बंसल परिवार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी ने अदालत को सूचित करते हुए अंतरिम जमानत के लिए दबाव डाला कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कल ही याचिका पर जवाब दाखिल किया है। जबकि कोर्ट ने समय की कमी का हवाला देते हुए मामले की सुनवाई 13 सितंबर तक के लिए टाल दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया गया है कि 11 अगस्त को, वकीलों ने तर्क दिया था कि एम3एम भारत की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनियों में से एक है और अगर वे ज्यादा दिन तक जेल में बंद रहे तो इसका असर निवेशकों पर पड़ेगा जिससे यह यह विफल हो जाएगी। उन्होंने अदालत से उन हजारों लोगों की दुर्दशा पर विचार करने का आग्रह किया, जिन्होंने उनकी परियोजनाओं में घर बुक करने की मांग की है। वही वरिष्ठ वकील तुषार मेहता ईडी की ओर से पेश हुए और जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय सुप्रीम कोर्ट से मांगा है।
बता दे की m3m के काफी प्रोजेक्ट गुरुग्राम में चल रहे हैं। जिसको लेकर घर की कर रखने वाले देशवासियों के मन में काफी उथल-पुथल चल रही है कि कहीं यह कंपनी एड के चक्कर में फस जाए उनके घर के सपने अधूरे रह जाए। इस मामले में सीबीआई के पूर्व जज सुधीर परमार, बसंत बंसल, अजय परमार सहित काफी कर्मचारियों पर इडी ने शिकंजा कसा हुआ है।
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