1900 girls were sold in the name of marriage
सत्यखबर,नई दिल्ली
अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित वाइटल वॉयसेज और रिलांयस फाउंडेशन की ओर से 2022-23 के लिए इंडिया की टॉप 50 वुमन लीडर की सूची जारी की गई है। इसमें बिहार के कटिहार की रहने वाली शिल्पी सिंह भी हैं। बच्चियों को तस्करी से बचाना, बाल विवाह रोकने के लिए काम करना, गरीब और ड्रॉप आउट बच्चों को स्कूल पहुंचाना, इन कामों की वजह से शिल्पी को वुमन लीडर के रूप में चुना गया है।
शिल्पी का जन्म कटिहार के बरमसिया में हुआ। बचपन कुछ वैसा ही था जैसे आपने फिल्म दंगल में आमिर खान की बेटियों को देखा था। पिता और बेटी के बीच रिलेशन ऐसा ही था। न बाल लंबे करने का परमिशन था, न नेल पॉलिश करने का। न लड़कियों की तरह फैशन करने की छूट थी। सजना-संवरना तो सोच भी नहीं सकती थी। शायद पिता ने पहले ही सोच रखा था कि अपनी बेटी के लिए क्या करना है। मेरा मानना है कि पिता वह पहला मर्द होता है जो घर के बाहर 100 मर्दों के साथ डील करने की बुद्धि देता है। पढ़ाई चलती रही, साथ में कथक में भी दाखिला लिया। कथक में भी बेस्ट रही। इसकी परीक्षा में डिस्टिंक्शन से पास हुई। जब नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) का कैंप लगा तो वहां भी ट्रेनिंग ली। चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में दिल्ली के प्रगति मैदान में जाकर परफॉर्म भी किया। कभी दूरदर्शन में काम करने की इच्छा थी लेकिन वो पूरी नहीं हो सकी।1900 girls were sold in the name of marriage
रेस्क्यू कराना, ये भी कोई काम है क्या
पटना में ग्रेजुएशन और एमबीए करने के दौरान ही शिल्पी एक संगठन से जुड़ी। उस संगठन को कोई पुरुष लीड कर रहे थे। मेरे लिए उपलब्ध रही कि मेरे प्रयासों से यह संगठन वुमन ऑर्गेनाइजेशन में तब्दील हो गया। तब भी लोग बोलते थे कि दलालों से पंगा लेना, पुलिस के साथ मिलकर रेस्क्यू कराना, ये भी कोई काम है। पर मैंने कभी इन बातों पर ध्यान नहीं दिया। समाज को लेकर मेरा जो नजरिया है, मेरा काम करने का जो जुनून है उसे कभी खोने नहीं दिया।
चोरी-छिनतई के लिए कुख्यात गांव को मेनस्ट्रीम से जोड़ा
कहिटार के कोढ़ा, कुरसैला और समैली गांव चोरी-छिनतई, डकैती के लिए कुख्यात रहे हैं। देश भर में कोढ़ा गैंग के बदमाशों के खिलाफ केस दर्ज हैं। उनके गांवों में जाकर शिक्षा को लेकर कैंपेन चलाया। कोढ़ा पंचायत के रामपुर, बिशुनपुर इलाके में आदिवासियों और मुसहर समुदाय के लोगों की संख्या अधिक है। उनके बीच जाकर उन्हें समझाया कि अपने बच्चों को पढ़ाई-लिखाई से जोड़ो। महिलाओं को अपने कैंपेन से जोड़ा।
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दुर्गा जत्था बनाकर लड़कियों को बनाया सशक्त
मैंने लड़कियों का समूह तैयार किया जिसे दुर्गा जत्था नाम दिया। अभी ऐसे 50 दुर्गा जत्था काम कर रही हैं। ये जत्था दलालों को लेकर अलर्ट रहता है। जब कोई बाहर से आता है और लड़कियों को बहलाने-फुसलाने की कोशिश करता है तो सबसे पहले पंचायत को सूचना दी जाती है। दुर्गा जत्था की लड़कियां धावा बोलती हैं और कहीं नाबालिग की शादी हो तो तुरंत उसे रुकवाती हैं। ये दुर्गा जत्था वुमनहुड के लिए है। औरत को उसके पावर होने का एहसास कराने के लिए है।
खीचा विवाह रुकवाया तो धमकियां मिलने लगीं
इस इलाके में आदिवासी समुदाय के लोग अधिक हैं। उनमें खीचा विवाह होता है। इसमें झारखंड से आदिवासी लड़के आते हैं और अपने समुदाय की लड़की को ले जाते हैं। छह महीने साथ रहते हैं। उन्हें लगता है कि वो उसके लिए योग्य नहीं है तो छह महीने के बाद भगा देते हैं। ऐसी लड़कियां बैठी रहती हैं। आदिवासी समुदाय इसे रिवाज के रूप में देखता है। जब मैंने खीचा विवाह खत्म करने के लिए कैंपेन चलाया तो मुझे फोन पर धमकियां मिलने लगीं। कहने लगे कि उनका कल्चर है, रिवाज है, इसमें दखल देने पर अंजाम बुरा होगा। लेकिन मैं डटी रही। इसी तरह एक बार नाबालिग की शादी रुकवा दी। बच्ची को रेस्क्यू कराया तो सहारनपुर से दलालों ने धमकी दी कि मार देंगे, काट देंगे। शिल्पी डरी नहीं। इस सोच पर कायम हूं कि ऐसा काम करूं कि दुनिया याद रखे। अपने घर के लिए जीना आसान है समाज के लिए मुश्किल।
एसटी-एससी समुदाय के 100 बच्चों का बैच तैयार
बिहार के कटिहार में जिन इलाकों में मैंने लोगों के बीच अवेयरनेस फैलाई है वहां इसका असर देखने को मिल रहा है। पहली बार खेतीहर-मजदूर वर्ग की बेटियां आईटीआई कर रही हैं। दर्जनों लड़कियां ग्रेजुएशन कर रही हैं। पहली बार इन समुदाय से 100 लड़कियों का बैच तैयार है जिन्होंने कंप्यूटर डिप्लोमा का कोर्स किया है।
शादी के नाम पर होने वाली तस्करी को रोका, 1900 लड़कियों को बचाया
बिहार में मानव तस्करी नौकरी के लिए नहीं होती। यहां से तस्करी के तार शादी-विवाह के नाम पर जुड़े हैं। ये एक तरह से झूठी शादी होती है। 12-13 साल की लड़कियों को बहला-फुसला कर, उनके पेरेंट्स को पैसे देकर शादी करा दी जाती है। ये लड़कियां दिल्ली-NCR, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा में ब्याह दी जाती हैं। सीमांचल से ये लड़कियां जाती हैं। हमारे दुर्गा समूह ने अब तक 1900 लड़कियों को शादी के नाम पर होने वाली मानव तस्करी से बचाया है।
खुद की शादी तो हो नहीं रही, लड़कियों को बागी बना रही हो
ये तब की बात है जब मेरी शादी नहीं हुई थी। मैं कुछ लड़कियों के साथ बैठी थी। तब दो-तीन औरतें आईं और कहा कि ये तुम लड़कियों को क्या सिखा रही हो। तुम अपना घर तो बसा नहीं पा रही और इनका भी शादी-ब्याह नहीं होने दे रही। तब मैंने कहा कि क्या किसी लड़की के जीवन का अंतिम डेस्टिनेशन विवाह ही है क्या। विवाह का मंडप ही सब कुछ है क्या। 1900 girls were sold in the name of marriage
शादी-शुदा महिलाओं के लिए नहीं है कोई वेलकमिंग जोन
घरों में आज भी महिलाएं अपनी बेटियों को कहती हैं कि बेसन-दही लगाओ। सुंदर दिखना जरूरी है। अच्छा नहीं दिखोगी तो लड़का नहीं मिलेगा। बहुत दहेज देना पड़ेगा। मामला यह है कि ऐसे लोग लड़कियों को बोझ समझते हैं। अपनी लायबिलिटी समझ शादी-ब्याह करके निपटा देते हैं। तुम उसमें खत्म हो जाओ। चली जाए तो वापस न आए। उसके लिए कोई ग्रीटिंग्स नहीं है। कोई यू टर्न नहीं है। फिर मैरिड वुमन का कोई वेलकमिंग जोन है क्या। मेरा सवाल यही है कि क्या लास्ट ऑप्शन घर बसाना है? क्या उसके बियोंड भी महिलाओं का अस्तित्व है या नहीं।
बोलो और पहल करो
लड़कियों को यह सिखाना जरूरी है अपने अधिकार क्या हैं। लड़कियां घरों में अपनी मां को पिता से मार खाते देखती हैं। गाली-गलौच सुनते बड़ी होती हैं। अपने समाज में लड़कियों को कम उम्र में ब्याहती देखती हैं। फिर उन्हें लगता है कि यह तो ट्रेडिशन है। लेकिन उन्हें पता ही नहीं होता कि यह राइट्स का वॉयलेशन है। हम यही कहते हैं बोलो और पहल करो। चुप्पी तोड़ो, हिंसा छोड़ो।
ग्रेजुएट बनोगी तो घास काटने वाले से शादी नहीं होगी
गांवों में जब कम उम्र में होने वाली शादी रुकवाती हूं तो मां-बाप को समझाना बड़ा मुश्किल होता है। अभी भी ग्रामीण इलाके में पढ़ाई सेकेंड प्राथमिकता है। लेकिन सुखद यह होता है कि लड़कियां ही फाइटर बन जाती हैं। अपनी लड़ाई खुद ही लड़ने लगती है। जब खुद बोलती हैं कि 12 साल की उम्र में हम शादी नहीं करेंगे।
लड़कियां घरों से लड़कर आती हैं। जब किसी के यहां कोई रिश्ता आता है तो लड़कियों ने ग्रुप बना रखा है। ये ग्रुप एक्टिव हो जाता है। ग्रुप की लड़कियां मां-बाप को समझाती हैं। पंचायत की आम सभा में जाकर लड़कियां अपनी बात रखती हैं। मैं लड़कियों से कहती हूं ग्रेजुएट से कम कुछ भी नहीं। जब ग्रेजुएट कर लोगी तो किसी घास काटने वाले से शादी कभी नहीं होगी।
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