अफसोस, दिन हमारे गर्दिश मेें आ रहे हैं, करूणामयी दृश्य से रामलीला का मंचन
सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
अफसोस, दिन हमारे गर्दिश में आ रहे हैं, करूणामयी दृश्य से रामलीला का मंचन किया गया। अवसर था सीताहरण के बाद श्री रामचंद्र जी सीता की टोह में कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्हें बाली का छोटा भाई सुग्रीव मिलता है, तो उसके आगे श्री राम अपना दुख व्यक्त करते हैंं। हुडा ग्राउंड में रामा भारतीय कला केन्द्र द्वारा संचालित रामलीला नौंवे दिन अरणय कांड, किष्किधा कांड के सुन्दर प्रसंगों से होती हुई सुन्दर कांड के चरण में पहुँच गई। जहाँ वीर हनुमान की अद्भुत लीलाओं से दर्शक ओत-प्रोत हुए। रामलीला का शुभारम्भ डा. देवेन्द्र बिंदलिश व भारतभूषण के कर-कमलों द्वारा हुआ। आज के प्रसंगों में बिलनी उद्धार, राम-सुग्रीव मित्रता, बाली-सुग्रीव युद्ध, बाली वध, सीता की खोज में वानर युथपतियों का चारों दिशाओं में अन्वेषण, हनुमान का लंका पहुँचना, अशोक वाटिका को उजाडऩा, अक्षय कुमार वध व मेघनाद द्वारा हनुमान को बंदी बनाना, रावण-हनुमान संवाद, विभीषण की प्रताडना आदि प्रमुख रहे। बाली को मृत्यु दण्ड पश्चात् वानर रघुपति जानकी के खोज में चारों दिशाओं में फैल जाते हैं। दक्षिण दिशा में जटायु के भाई सम्पाति द्वारा सूचना दी गई कि सीता रावण द्वारा अशोक वाटिका में बंदी बनाई गई है। महाबली हनुमान समुद्र को लांघकर अशोक वाटिका पहुंचते है और सीता माता को राम द्वारा दी गई अंगूठी देकर कुशलता का समाचार देते हुए कहते है कि राम दूत मैं मातु जानकी। इसके पश्चात् वीर मेघनाद भीषण युद्ध पश्चात् हनुमान को बंदी बनाने में सफल हो जाता है। सुग्रीव की भूमिका में प्रेम अरोड़ा, हनुमान की भूमिका में मनजीत गोरा, मेघनाद नरेन्द्र, अक्षय कुमार संदीप जाखड, विभीषण कुलदीप वर्मा व बाली की भूमिका में ओमप्रकाश जांगडा ने दर्शकों को बांधने में सफल रहे। इस अवसर पर भारतभूषण गर्ग, अचल मित्तल, रामनिवास जैन, सुशील गर्ग, महावीर जैन, कुलदीप, महासिंह श्योराण, जगदीश पांचाल, रामकुमार, कृष्ण काका आदि दर्शक मौजूद रहे।