सत्यखबर सफीदों, (महाबीर) – आर्य समाज सफीदों के तत्वावधान में नगर के आर्य समाज मंदिर में रविवार को मासिक सत्संग का आयोजन किया गया। इस मासिक सत्संग में आर्य समाज के धर्माचार्य कमलेश शास्त्री ने यज्ञ करवाया। भजनोपदेशक पं. प्रताप सिंह आर्य और पं. सुखदेव आर्य ने अपने सुमधुर भजनों के माध्यम से वैदिक अलख जगाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता आर्य समाज के प्रधान यादविंद्र बराड़ ने की।
अपने संबोधन में धर्माचार्य कमलेश शास्त्री ने कहा कि आज जिस प्रकार से पाखंड, अंधविश्वास और अलगाववाद का माहौल बना हुआ है, ऐसे में मानवता की हत्या होने से बचाने के लिए मानवीय गुणों, चरित्र, संस्कारों व वेद के विचारों की महती आवश्यकता है। प्राचीनकाल से सृष्टि के प्रारंभ से अब तक वैदिक परंपरा थी। इस परंपरा के माध्यम से सभी मानव समाज एक था।
उसी परंपरा के अनुसार हमारा आहार-विहार, आचार-विचार, रहन-सहन, उठना-बैठना व खाना-पीना यहां तक कि हमारी सोच भी एक थी लेकिन बाद में विद्वानों के लोभ व परस्पर विरोध ने परमात्मा द्वारा दी गई वैदिक परंपरा को दूषित कर दिया और हजारों परंपराएं तथा मत-मतांतर चहुंओर फैल गए। ऐसी स्थिति में आज वैदिक विचार व परंपराओं की महती आवश्यकता है जो हमारे परिवार, समाज व राष्ट्र को बिखरने से बचा सकती है। आर्य समाज के प्रधान यादविंद्र बराड़ ने आए हुए महानुभावों व विद्वानों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम के उपरांत विशाल ऋषिलंगर का आयोजन किया गया, जिसमें सैंकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।
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