सत्यखबर
अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानि आईएमएफ से अरबों डॉलर का कर्ज लेने के बाद अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आईएमएफ की ही आलोचना करनी शुरू कर दी है। आईएमएफ पर बरसते हुए इमरान खान ने अब विकसित देशों से 150 अरब डॉलर की सहायता राशि की मांग ही, और इसके लिए उन्होंने कोरोना वायरस की वजह से खस्ताहाल हो चुके वैश्विक अर्थव्यवस्था का हवाला दिया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने विकसित देशों से कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए गरीब देशों की मदद करने की मांग की है, और इसके लिए उन्होंने कम से कम 150 अरब डॉलर देने की मांग की है। यूनाइटेड नेशंस हाई लेवल पॉलिटिकल फोरम यानि एचएलपीएफ को संबोधित करते हुए उन्होंने पाकिस्तान को अरबों डॉलर का कर्ज देने वाले आईएमएफ पर ही निशाना साधना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि आईएमएफ ने कर्ज देने के लिए जिन शर्तों को रखा है, वो काफी सख्त हैं। इमरान खान ने कहा कि ”मैं उम्मीद करता हूं कि विकासशील देशों को कम से कम 150 अरब डॉलर का कर्ज आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक और दुनिया के दूसरी वीत्तिय संस्थानों से मिलेगा”
इमरान खान ने एचएलपीएफ को संबोधित करते हुए आईएमएफ को ही ज्ञान देना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि ” कर्ज देने में निगोसिएशन के वक्त ज्यादा वक्त नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि इससे कर्ज लेने का मकसद पूरी तरह से पूरा नहीं हो पाता है”। आपको बता दें कि आईएमएफ ने पाकिस्तान को कई अरब डॉलर का कर्ज दे रखा है और 2 महीने पहले भी आईएमएफ ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का कर्ज दिया है। लेकिन, अब आईएमएफ ने पाकिस्तान को शर्तों के साथ कर्ज देना शुरू किया है, जिसकी पाकिस्तान सरकार कई बार आलोचना कर चुकी है।
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वहीं, कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आईएमएफ से मिले पैसों का पाकिस्तान में मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और भ्रष्टाचार में इस्तेला किया गया है। जिसके बाद आईएमएफ ने कर्ज दिए पैसों की निगरानी भी करनी शुरू कर दी है और अब पाकिस्तान को बताना पड़ता है कि वो आईएमएफ से मिले पैसों को कहां खर्च कर रहा है और इसी बात को लेकर पाकिस्तान सरकार में भारी गुस्सा है।
इमरान खान ने कहा कि इस वक्त पूरी दुनिया तीन बड़ी चुनौतियों से जूझ रही है। जिसमें कोविड-19 महामारी, खस्ताहाल अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन हैं। लिहाजा, पाकिस्तान जैसे देशों को बड़ा नुकसान हुआ है और उसकी भरपाई विकसित देशों को करनी चाहिए। इमरान खान ने कहा कि जब तक अमीर और गरीब सहित सभी देश सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम नहीं होंगे, वैश्विक अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाएगी। लिहाजा, पाकिस्तान जैसे देशों को कम ब्याज दरों पर और कर्ज मिलनी चाहिए।
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