सत्य खबर, चण्डीगढ़
किन्नर जिसकी एक दुआ के लिए हम तरसते है ,कोई भी खुशी का मोका हो बच्चो का जन्म हो या फिर सादी ब्याह किन्नर वहा के वहा आने पर दुआए देते है ओर नेग ले जाते है इनकी दुआओ से लोगो की झोलिया और तिजोरिया तक भर्ती है । किन्नर जो आपकी खुशियों को दोगुना करता है लेकिन कभी अपनी खुशियों को दर्द में कभी किसी को शरीक नहीं करते ओर अपनी जिंदगी के कई रहस्य आम लोगो से छिपा कर रखते है ।इनकी दुनिया जितनी अलग होती है उतने ही उनके रीति रिवाज भी हमारी आम जिंदगी से बिल्कुल अलग रहते है लेकिन हम इनके निजी जीवन के बारे में बहुत कम जानते है । किन्नरों से जुड़ा एक विषय है जिसे काफी गोपनीय रखा जाता है वो है उनकी मौत से जुड़ा रहस्य, हर किसी के मन में ये सवाल आता होगा कि जब किसी किन्नर की मौत होती है तो क्या होता होगा? तो आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें हम बताएंगे कि आखिर किन्नरों के मौत के बाद आखिरकार किस तरह से उनका अंतिम संस्कार किया जाता है। क्योंकि इसके पीछे कई गहरे राज छिपे होते है तो आज की वीडियो में हम इन्ही रहस्य को बताने जा रहे है ।
जब भी किसी किन्नर की मौत होती है, तब उसका पता सिर्फ उनकी बिरादरी को ही होता है, क्योंकि अस्पताल में इलाज करवाने और मौत के मुंह से बचाने की कोई कोशिश नहीं होती। जब भी किन्नर की मौत होती है, तब जिस मोहल्ले में वे रहते हैं, वहां उनके मुंहबोले भाई, काका, बाबा बन जाया करते हैं और यही लोग उन्हें अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं। यह काम आधी रात को होता है, जब दुनिया नींद के आगोश में रहती है।
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रात में अंतिम संस्कार इसलिए किया जाता है क्योंकि यदि कोई आम व्यक्ति किन्नर का अंतिम संस्कार देख लेता तो मारने वाला किन्नर अगले जन्म में वापिस किन्नर हो बनता है .अगर किसी किन्नर की मौत हो जाती है तो उसकी डेड बॉडी को सफ़ेद कपड़े में लपेट दिया जाता है और बॉडी पर कोई भी बंधी हुई चीज नहीं छोड़ी जाती इसके पिछे कारण बताया जाता है कि ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि उसकी आत्मा फ्री हो जाए और किसी तरह के बंधन और रिश्ते से वह हमेशा के लिए मुक्त रहे।
मृत किन्नर की पार्थिव शरीर को बाकी किन्नर जूते चप्पल से पिटते हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि यह करने से इस जन्म में करे गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। वैसे तो किन्नर समुदाय सभी हिंदू रीती रिवाजों को मानता हैं लेकिन अंतिम संस्कार करते समय इनकी पार्थिव शरीर को जलाने की बजाए दफनाया जाता हैं
मृत किन्नर को दफनाने के बाद सभी किन्नर एक हफ्ते तक उपवास रखते हैं, और उसके लिए दुआ करते हैं कि अगले जन्म में वो आम इंसान की तरह कहीं जन्म ले. इसके साथ ही मरे हुए किन्नर के मुंह में किसी नदी के पानी डालने का भी रिवाज है।
एक और हैरान कर देने वाली बात हैं कि किन्नर समुदाय अपने साथ की मौत पर मातम नहीं मनाता हैं. बल्कि ये लोग किन्नर की मौत का जश्न मनाते हैं। ऐसा कहा जाता हैं कि मरने के बाद किन्नर को नरक युगी जीवन से मुक्ति मिल जाती हैं. अगले जन्म में वो सामान्य इंसान की तरह पैदा होता हैं. इस दौरान सभी किन्नर अपने अराध्य देव अरावन से विनती करते हैं कि वे मृतक को अगले जन्म में किन्नर ना बनाए. इसके अतिरिक्त मृत व्यक्ति ने अपने जीवन में जो कुछ भी कमाया होता हैं उसे दान कर दिया जाता हैं।
क्या आप जानते है पिछले जन्म के पाप कर्मों के कारण व्यक्ति को किन्नर रूप में जन्म लेना पड़ता है. शास्त्रों में इसे शाप से पाया हुआ जीवन कहा जाता है. अर्जुन शाप के कारण किन्नर हुए थे और शिखंडी पूर्व जन्म के कर्मों से. एक मान्यता ये भी है कि ब्रह्मा की परछाई से किन्नरों की उत्पत्ती हुई थी।
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