सफीदों, (महाबीर मित्तल)
दिल्ली में जहां उत्तर भारत भर के किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग के साथ डटे हैं, वही उत्तर प्रदेश के खागा क्षेत्र के कुछ किसानों ने उनकी सरकार से मांग की है कि वह वहां के किसानों का एक इंटीग्रेशन टूर हरियाणा में व्यवस्थित करें ताकि हरियाणा में आधुनिक खेती की तकनीक एवं अन्य जानकारी लेकर वे भी अपने व्यवसाय में दो कदम आगे बढ़ सकें। ऐसे ही अनुरोध हरियाणा सरकार को भी भेजा गया है। फोन पर इस आशय की जानकारी देते हुए खागा के किसान समूह के एक प्रतिनिधि केसर रजा, जिसने हाल ही में सफीदों क्षेत्र के सूरजमल सैनी से काले गेहूं, पर्पल गेहूं, डी.बी.डब्लू.-187 व डी.बी.डब्लू.-222 किस्मों का बीज डाक से मंगाकर वहां बिजाई की है, ने बताया कि उनके इलाके में आज भी खेती परंपरागत तरीके से हो रही है जिसका यह तो फायदा है कि उत्पाद आमतौर पर केमिकल फ्री हैं क्योंकि नाममात्र के यूरिया व डी.ए.पी. रासायनिक खादों के अलावा वहां गेहूं, धान या अन्य फसलों में कीटनाशक, फफूंदनाशक, खरपतवार नाशक आदि जहरीली दवाओं का प्रयोग नहीं किया जा रहा है
लेकिन इसका उन्हें लाभ होने की बजाय नुकसान यह हो रहा है कि ऐसे बेहतरीन गुणवत्ता के उत्पाद भी उन्हें कौडिय़ों के भाव बेचने पड़ रहे हैं। उसने बताया कि उनके खेतों में अब धान की कटाई हुई है और धान का भाव एक हजार से ग्यारह सौ से अधिक व्यापारियों द्वारा दिया नहीं जा रहा है। सरकार की कोई खरीद व्यवस्था नहीं है। उसने बताया कि उनके समूह के किसान हरियाणा के किसानों से मिलकर कुछ सीखना व उनसे जुडऩा चाहते हैं जिसके लिए हरियाणा सरकार को भी पहल करनी चाहिए।
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