सत्य खबर
हरियाणा और पंजाब के बीच मंगलवार को दोपहर तीन बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए SYL (सतलुज यमुना लिंक नहर) मुद्दे पर बैठक होने जा रही है। नई दिल्ली में होने वाली बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह में बातचीत होगी। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक में मौजूद रहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को हरियाणा-पंजाब के मुख्यमंत्रियों को तीन सप्ताह का समय दिया था कि बातचीत करके दशकों से चल रहे विवाद को सुलझाया जाए। मध्यस्थता करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा था। इसी निर्देश के तहत मंगलवार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री बातचीत करेंगे, वार्ता की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी जाएगी। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही भाग लेंगे।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के हिसाब से हरियाणा को ज़्यादा उलझन नहीं है। हरियाणा को पानी मिल चुका है, नहर के निर्माण को लेकर फैसला होना है। अगर सहमति बैठक में बन जाती है तो अच्छी बात है नहीं तो सुप्रीम कोर्ट इस पर अपना रुख साफ करेगा।
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला लागू होना चाहिए। हरियाणा के हक में फैसला आ चुका है। अब निर्णय पर अमल हो व प्रदेश को उसके हक का पानी मिले।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुकी है पंजाब कैबिनेट
एसवाईएल का मुद्दा पंजाब के लिए राजनैतिक अधिक है। यह मामला सूबे में सरकार बदलने की क्षमता रखता है। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बार-बार हरियाणा के पक्ष में फैसले दिए जाते रहे हैं। 2017 में तो एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुकदमा भी पंजाब सरकार के खिलाफ दर्ज हुआ था, जब हरियाणा के पक्ष में आए फैसले के अगले ही दिन पंजाब सरकार ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के उलट फैसला लेते हुए आदेश जारी किए थे।
सुप्रीम कोर्ट में भी अपने रुख पर अड़ा रहा है पंजाब
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से एसवाईएल के मुद्दे का बातचीत के जरिये हल करने को कहा है। जस्टिस अरुण मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर बड़े राजनैतिक स्तर पर वार्ता की जरूरत है। पीठ वास्तव में दोनों राज्यों से जानना चाहता है कि वे बातचीत के जरिये इस विवाद को हल कर सकते हैं या नहीं? सुप्रीम कोर्ट अब अगस्त के तीसरे हफ्ते में इस मामले पर सुनवाई करेगा। वहीं, पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह अपने किसानों के हितों को नजरअंदाज कर दूसरे राज्यों को पानी नहीं दे सकता।
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पंजाब ने यह भी कहा कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट को सुनवाई नहीं करनी चाहिए बल्कि इस मामले को ट्रिब्यूनल के समक्ष सुना जाना चाहिए। पंजाब का कहना है कि सतलज, यमुना ब्यास नदी के पानी पर पहले हमारा हक है। पंजाब ने यह भी कहा कि हम अदालती आदेश का पालन करना चाहते हैं लेकिन अपने किसानों को नजरअंदाज कर ऐसा नहीं कर सकते। हमारे किसान भूख से मरें और हम सतलज, यमुना और ब्यास नदी का पानी किसी और क्यों दें। पानी हमारी जरूरत हैं। पंजाब के इसी रुख के कारण वर्षों से इस मामले का समाधान नहीं निकल पा रहा।
ये है एसवाईएल का मामला
– 24 मार्च 1976 को केंद्र की तरफ से हरियाणा को 3.5 एमएएफ पानी देने की अधिसूचना जारी हुई
– 8 अप्रैल 1982 को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने पटियाला के कपूरी गांव के पास नहर खुदाई का उद्घाटन किया
– 24 जुलाई 1985 को राजीव-लौंगोवाल समझौता हुआ। पंजाब ने नहर बनाने की सहमति दी
– 1996 में समझौता सिरे नहीं चढ़ने पर हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की
– 15 जनवरी 2002 को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को एक वर्ष में एसवाईएल बनाने का निर्देश दिया
– 4 जून 2004 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पंजाब की याचिका खारिज हुई
– 2004 में ही पंजाब ने पंजाब टर्मिनेशन आफ एग्रीमेंट एक्ट-2004 बनाकर तमाम जल समझौते रद कर दिए
– 20 अक्टूबर 2015 ने मनोहर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रपति के रेफरेंस पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित करने का अनुरोध किया।
– 26 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया, इसके बाद पंजाब ने फिर अपील की, मामला विचाराधीन
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