सत्य खबर, चंडीगढ़
हरियाणा की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव का नतीजा सबके सामने आ गया है । इस उपचुनाव में इसी सीट से तीन कृषि कानूनों को लेकर इस्तीफा देने वाले इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक अभय चौटाला ने फिर से जीत दर्ज की है । उन्होंने बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के उम्मीदवार गोविंद कांडा को 6 हजार से अधिक मतों से हराया है, लेकिन बड़ी बात यह है कि तीसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के उम्मीदवार पवन बेनीवाल अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए ।
सत्ता पक्ष हार का अंतर कम होने को भी मान रहा अपनी बड़ी उपलब्धि- इस उपचुनाव का नतीजा भले ही सत्ताधारी दल के खिलाफ गया, लेकिन जिस तरह से अभय चौटाला का जीत का मार्जिन पिछली बार के मुकाबले आधा हुआ है वह कहीं ना कहीं सत्ता पक्ष को राहत का संदेश देता हुआ नजर आता है। क्योंकि अभय चौटाला ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध दर्ज करते हुए इस विधानसभा सीट से इस्तीफा दिया था । वहीं किसान आंदोलन भी लगातार जारी है । ऐसे में जहां सभी को लग रहा था कि अभय चौटाला का जीत का मार्जिन बढ़ेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं । इसलिए सत्ता पक्ष इसको भी अपनी जीत के तौर पर ही देख रहा है ।
क्या रही अभय चौटाला की जीत की प्रमुख वजह?-
इंडियन नेशनल लोक दल के नेता अभय चौटाला इस चुनाव में जीत दर्ज करने में सफल हुए हैं, लेकिन इस चुनाव को जीतने के लिए उन्हें एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा । अभय चौटाला की जीत का विश्लेषण करना भी इसलिए जरूरी हो जाता है, क्योंकि इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले उनकी जीत का मार्जिन आधा हो गया । उनकी जीत की पीछे कहीं ना कहीं किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं का उनके साथ खड़े होना भी अहम रहा है ।
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फिर चाहे वह गुरनाम सिंह चढूनी हो या फिर राकेश टिकैत । सिरसा से पूर्व कांग्रेस सांसद और कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने भी उनको अपना समर्थन दिया था । ऐसे में कहीं ना कहीं उनके योगदान को भी नकारा नहीं जा सकता । जिस तरह से इस बार गठबंधन सरकार उनके खिलाफ मैदान में उतरी थी और कड़ी चुनौती दी थी, इसकी वजह से पहले से ही लग रहा था कि इस बार अभय चौटाला की राह आसान नहीं होगी । हुआ भी कुछ ऐसा ही भले ही चुनाव सत्ता पक्ष हार गया हो, लेकिन चौटाला के गढ़ में उसकी जीत के मार्जिन को कम करने को भी सत्ता पक्ष अपनी उपलब्धि से कम नहीं मानता है ।
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