सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
आर्य समाज के तत्वाधान में महर्षि दयानंद सरस्वती जन्मोत्सव एवं बोधोत्सव का कार्यक्रम देवयज्ञ से प्रारम्भ हुआ। यजमान के आसन पर अश्वनी आर्य सपत्नी उपस्थित रहे। यज्ञ उपरांत भजन उपदेशक भानु प्रकाश शास्त्री ने कहा कि जिसके अंदर प्रेम-प्यार के दीपक जलते हैं, वह व्यक्ति अपने जीवन में फलते और फूलते हैं, कर्म हीन सदा अपने जीवन में असफल होते हैं, अपने कर्म पर रोते हैं और कर्मशील पुरुष अपनी तकदीर स्वयं बदलते हैं। इसलिए विद्यार्थी को धीर, वीर और गंभीर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसार में मनुष्य के अलावा जितने जीव यानी पशु-पक्षी होते हैं, वह बिना कुछ सीखाएं सब कुछ सीख लेते हैं। गाय का बच्चा 3 दिन का पानी में डाल देने पर तैरना शुरू कर देता है। परंतु मनुष्य 60 वर्ष का भी तैरना सीखे बिना डूब जाता है। इससे सिद्ध होता है कि पशु के अंदर स्वाभाविक गुण होते हैं और मनुष्य के अंदर नैमित गुण होते हैं, जो बिना सिखाएं नहीं सीखते। इस अवसर पर प्रधान इंद्रजीत आर्य, विजय कुमार, नरेश चंद्र, आदित्य आर्य, अमोद कुमार, योगेंद्र पाल, धर्मपाल, महेंद्र सिंह, प्राचार्या सुनीता नारंग, उषा मित्तल, शशी गर्ग, प्राचार्य रघु भूषण लाल गुप्ता के साथ-साथ आर्य शिक्षण संस्थाओं के सभी विद्यार्थी, अध्यापकगण के साथ शहर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
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