सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन में अन्य राज्यों से अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूर सही मायने में देश के प्रति वफादार हैं। जिसे दलितों व छात्रों की समय-समय पर आवाज उठाने वाले युवा कार्यकर्ता सुमित हमीरगढ़ ने अपनी कविता के माध्यम से बयान किया है। उन्होंने राष्ट्र विरोधी मानसिकता वाले पत्थरबाजों की साजिश को समझते हुए इन मजदूरों से सीख लेने के लिए कहा है कि डूब मरो रे पत्थरबाजो कहती भारत माता प्यारी। नहीं झांसे में इब फंसा हमने देख ली है थारी गद्दारी। भूखे प्यासे पैदल सड़क पे उन्होंने कितनी रातें हैं गुजारी। रोटियां की तो बात दूर किसी ने हालत भी ना पूछी हमारी। घर-कुणबा रोड़ पे मरगे दुख मिला घणा भारी। नहीं उठाए पत्थर फिर भी यही देश के प्रति मजदूर की वफादारी।
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