सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
रीपर से तूड़ी बन जाने के बाद आखिर उसमें बचता ही क्या है। फिर भी कुछ किसान उसे आग के हवाले कर देते हैं। उस समय वे केवल भूसा ही नहीं जलाते, बल्कि अपना भविष्य जला रहे होते हैं। यह कथन पर्यावरण रक्षिका व केएम राजकीय महाविद्यालय की छात्रा सोनाली श्योकंद ने किसानों को गेहूं के फाने ना जलाने की अपील करते हुए कहे। सोनाली ने कहा कि जब सारा देश कोरोना से लड़ रहा है और नासमझ किसान अब भी गेहूं के अवशेष जलाकर परेशानी को और बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे किसान फिर भी नहीं समझते, तो पूरे देश को इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। आप को बता दें कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति इस बालिका के मन में इतना जुनून भरा है कि अक्टूबर 2016 में पराली जलाने के विरोध में अपने किसान पिता की ही संबधित विभाग में शिकायत कर उन पर जुर्माना लगवाया था। उस समय ढाकल गांव की इस बेटी के जज्बे को देखकर हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने इन्हें पर्यावरण रक्षिका अवार्ड से सम्मानित किया था।
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