सत्य खबर
तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच 7वें दौर की वार्ता बुधवार दोपहर 2:00 बजे होगी। यह वार्ता 21 दिन बाद हो रही है। इसलिए सबकी नजरें इस पर हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को बातचीत के लिए अपनी सहमति देते हुए सरकार को ईमेल भेजा। हालांकि, इसमें किसानों ने फिर वार्ता के लिए अपना पुराना एजेंडा ही भेजा है।
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इसके बाद दिल्ली के नॉर्थ ब्लाक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और उद्याेग राज्य मंत्री साेम प्रकाश ने बैठक कर वार्ता की रणनीति बनाई। कृषि मंत्री ने शाह को बताया कि सरकार ने किसानों को क्या-क्या प्रपोजल भेजे हैं और किसानों का क्या एजेंडा है। 2 घंटे चली बैठक में चर्चा हुई कि दोनों पक्षों के एजेंडे में जो अंतर हैं, उन्हें कैसे कम किया जाए।
अंत में तय हुआ है कि सरकार पहले अपने पुराने प्रस्ताव पर मनाने व समझाने की कोशिश करेगी। बात नहीं बनती है तो कुछ और संशोधन के प्रस्ताव रखे जा सकते हैं। बैठक के बाद कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि उम्मीद है बातचीत सकारात्मक कदम के साथ आगे बढ़ेगी, ऐसा पूरा विश्वास है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि खुले और साफ मन से बात करें, जिससे किसी नतीजे पर पहुंच सकें।
किसानों के एजेंडे व सरकार के प्रस्तावों में हैं अंतर
किसानों का एजेंडा
- तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की प्रक्रिया पर चर्चा हो।
- सभी कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान तय किया जाए।
- एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 में ऐसे संशोधन हों, जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं।
- किसानों के हितों के लिए ‘विद्युत संशोधन विधेयक 2020’ के मसौदे वापस लेने की प्रक्रिया पर चर्चा हो।
सरकार का प्रस्ताव
- राज्य सरकार चाहें तो प्राइवेट मंडियों पर भी शुल्क/फीस लगा सकती हैं। मंडी व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर सकती हैं।
- किसान और कंपनी के बीच कॉन्ट्रैक्ट की 30 दिन के अंदर रजिस्ट्री होगी। कॉन्ट्रैक्ट कानून में स्पष्ट कर देंगे कि किसान की जमीन-बिल्डिंग पर ऋण नहीं दिया जा सकेगा या गिरवी नहीं रख सकते।
- किसान की जमीन कुर्की नहीं हो सकेगी। किसानों को सिविल कोर्ट जाने का विकल्प भी दिया जाएगा।
- एमएसपी की वर्तमान खरीदी व्यवस्था के संबंध में सरकार लिखित आश्वासन देगी।
- बिजली बिल नहीं लाएंगे। पुरानी व्यव्यस्था लागू रहेगी।
- एनसीआर में प्रदूषण वाले कानून पर किसानों की आपत्तियों का समुचित समाधान किया जाएगा।
- कानून रद्द नहीं कर सकते। इसके अतिरिक्त किसानों के अन्य सुझाव होंगे तो उन पर विचार किया जाएगा।
टिकैत बोले- विपक्ष मजबूत हाेता ताे किसानाें काे सड़काें पर नहीं उतरना पड़ता
भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत ने विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष मजबूत होता तो किसानों को प्रदर्शन क्यों करना पड़ता। संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य अभिमन्यु कोहर ने कहा कि अब अगर बातचीत सफल नहीं रही तो किसान 31 दिसंबर को बॉर्डर से बॉर्डर तक ट्रैक्टर मार्च करेंगे। इधर, हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह के क्षेत्र की खापों ने चिट्ठी अभियान शुरू किया है। जींद के खटकड़ टोल प्लाजा पर हुई पंचायत के माध्यम से पीएम को भेजी चिट्ठी में खापों व किसानों ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने गुहार लगाई।
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