सत्य ख़बर, चंडीगढ़
Farmers Agitation: तीन कृषि कानूनों का विरोध करने के बाद संयुक्त संघर्ष पार्टी बनाकर पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ने वाले भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी चंदे की राशि को लेकर विवादों में घिर गए हैं। कृषि कानूनों के विरोध में 378 दिन तक चले आंदोलन के दौरान किसान संगठनों को चंदा भी मिला और खर्च भी खूब हुआ। अब इस चंदे का हिसाब देने को कोई तैयार नहीं है, जिस वजह से गुरनाम सिंह चढूनी के समर्थक ही एक दूसरे को शक से दायरे में खड़ा कर रहे हैं।
चढूनी ने कमेटी के पदाधिकारियों से कहा जल्द दिया जाए हिसाब
गुरनाम चढूनी ने इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट कर अपनी सभी कमेटियों से किसान आंदोलन के दौरान प्राप्त हुए चंदे और खर्च का हिसाब-किताब देने को कहा है। भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष के रूप में खुद को स्थापित करने वाले चढूनी मूल रूप से कुरुक्षेत्र जिले के रहने वाले हैं और उनकी पत्नी ने 2014 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। चढूनी ने 18 दिसंबर 2021 को संयुक्त संघर्ष पार्टी बनाकर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की और पंजाब में 10 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया था।
चढूनी के मिशन पंजाब के चलते उनकी यूनियन के काफी किसान नाराज थे। करनाल के जाट भवन में उन्होंने यूनियन छोड़ने की घोषणा भी कर दी थी। इसके बाद चढूनी ने कुछ नए पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंपी थी। चढूनी ने एक पोस्ट में कहा है कि कमेटियों के पदाधिकारी एक दूसरे के विरुद्ध लिखने की बजाए हिसाब दें। सभी जिला इकाइयों का दायित्व बनता है कि वह अपना हिसाब-किताब मुख्य कार्यकर्ताओं को देने की शुरुआत करें। जो हिसाब नहीं देगा, वह खुद ही शक के दायरे में आ जाता है। इसलिए अपने आप को साफ रखने के लिए हिसाब जरूर दें। हिसाब बाप बेटे का भी होता है।
इंटरनेट मीडिया पर एक यूजर की सलाह, आप ही शुरुआत करें
हिसाब को लेकर एक यूजर कार्तिक ने चढूनी से कहा कि शुरुआत बड़ों से ही होनी चाहिए। पहले आप सारे आंदोलन का हिसाब दें। दिल्ली आंदोलन में अरबों रुपए का चंदा पहुंचा है। दूसरी तरफ, भारतीय किसान यूनियन चढूनी गुट के मीडिया इंचार्ज राकेश बैंस का कहना है कि यह हिसाब किसान संगठनों के आंदोलन के दौरान का है, लेकिन यह यूनियन का आंतरिक मामला है। कोर कमेटी की बैठक में हिसाब किया जाता है।
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