सत्य खबर
सरकार ने जिस तरह से इस मामले को हैंडल किया.. हम उससे निराश है– चीफ जस्टिस
चीफ जस्टिस ने अटॉर्नी जनरल से कहा- आप लगातार कह रहे हैं हम बात कर रहे हैं- आपने क्या बात की अब तक..
सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को फटकार..
कहा- यह कहने से हम मदद नहीं कर पाएंगे कि ये बदलाव पिछली सरकार ने शुरू किए थे …समझौता वार्ता के लिए आपने क्या किया
CJI- आपने कोर्ट को बहुत अजीब स्थिति में डाल दिया है। लोग कह रहे हैं कि हमें क्या सुनना चाहिए, क्या नहीं। लेकिन हम अपना इरादा साफ कर देना चाहते हैं। हल निकले। अगर आपमें समझ है तो कानून के अमल पर ज़ोर मत दीजिए। फिर बात शुरू कीजिए। हमने भी रिसर्च किया है। एक कमिटी बनाना चाहते हैं।
एटॉर्नी जनरल- कानून से पहले एक्सपर्ट कमिटी बनी। कई लोगों से चर्चा की। पहले की सरकारें भी इस दिशा में कोशिश कर रही हैं।
CJI- यह दलील काम नहीं आएगी कि पहले की सरकार ने इसे शुरू किया था
सॉलिसीटर जनरल- बहुत बड़ी संख्या में किसान संगठन कानून को फायदेमंद मानते हैं
CJI- हमारे सामने अब तक कोई नहीं आया है जो ऐसा कहे। अगर एक बड़ी संख्या में लोगों को लगता है कि कानून फायदेमंद है तो कमिटी को बताएं। आप बताइए कि कानून पर रोक लगाएंगे या नहीं। नहीं तो हम लगा देंगे।
CJI- आप हल नहीं निकाल पा रहे हैं। लोग मर रहे हैं। आत्महत्या कर रहे हैं। महिलाओं और वृद्धों को भी बैठा रखा है। हम कमिटी बनाने जा रहे हैं।
किसान संगठन के वकील एपी सिंह ने कुछ कहने की कोशिश की।
CJI- चाहे आपको हम पर भरोसा हो या नहीं। हम देश का सुप्रीम कोर्ट हैं। अपना काम करेंगे
याचिकाकर्ता के वकील हरीश साल्वे- सिर्फ कानून के विवादित हिस्सों पर रोक लगाइए
CJI- हम पूरे कानून पर रोक लगाएंगे..
इसके बाद भी संगठन चाहें तो आंदोलन जारी रख सकते हैं। लेकिन क्या इसके बाद नागरिकों के लिए रास्ता छोड़ेंगे।
CJI- हमें आशंका है कि किसी दिन वहां हिंसा भड़क सकती है
साल्वे- कम से कम आश्वासन मिलना चाहिए कि आंदोलन स्थगित होगा। सब कमिटी के सामने जाएंगे
CJI- यही हम चाहते हैं। लेकिन सब कुछ एक ही आदेश से नहीं हो सकता। हम ऐसा नहीं कहेंगे कि कोई आंदोलन न करे। यह कह सकते हैं कि उस जगह पर न करें
कानून के खिलाफ याचिका करने वाले एम एल शर्मा ने 1955 के संविधान संशोधन का मसला उठाया।
CJI- हम फिलहाल इतने पुराने संशोधन पर रोक नहीं लगाने जा रहे हैं।
एटॉर्नी जनरल- तमाम मामलों में कोर्ट ने संसद के कानूनों पर रोक नहीं लगाई है। इस बार भी ऐसा नहीं करना चाहिए। CJI- हमें उन मामलों की जानकारी है। आप अपनी दलीलें दीजिए
CJI- हम कानून पर नहीं उसके अमल पर रोक लगा रहे हैं। हमने एटॉर्नी जनरल की दलीलों पर विचार किया। कानून के आधार पर कदम उठाए जाने पर रोक तो लग ही सकती है।
दवे- पंजाब के किसान कभी गणतंत्र दिवस परेड बाधित नहीं करना चाहेंगे। हर परिवार से लोग सेना में। हमें रामलीला मैदान जाने देना चाहिए।
CJI- हम रोक लगाने जा रहे हैं। बाद में आंदोलनकारियों से पूछेंगे कि आप सड़क से हटेंगे या नहीं
कॉलिन गोंजाल्विस- आप 4 वकीलों- दुष्यंत दवे, प्रशांत भूषण, एच एस फुल्का और मुझे संगठनों से बात करने को कहिए। हम आज ही उनसे बात करेंगे। कोर्ट के विचार उन्हें बताएं
CJI- हम आज की सुनवाई बंद कर रहे हैं
एटॉर्नी- जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए
CJI- हमें जल्दबाजी पर लेक्चर मत दीजिए। हमने बहुत समय दिया है
सॉलिसीटर- कोर्ट को आदेश देना चाहिए कि कोई भी गणतंत्र दिवस कार्यक्रम को बाधित नहीं करेगा
CJI- आप इसके लिए हमें अलग से आवेदन दीजिए
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