सत्य खबर, कैराना
उत्तर प्रदेश की सबसे चर्चित विधानसभा सीटों की लिस्ट में एक नाम कैराना विधानसभा सीट (Kairana Vidhan Sabha Seat) का भी है. उत्तर प्रदेश के शामली जिले (Shamli) में आने वाली यह सीट ‘पलायन’ (Exodus) के मुद्दे को लेकर पहले भी सियासी सुर्खियां बटोरती रही है. चुनावी समर (UP Assembly Election 2022) में जब जब पलायन (Hindu Famlies Migration) का मुद्दा उठा, तब तब कैराना का नाम सामने आया. बीजेपी ने इस सीट पर दिवंगत सांसद हुकुम सिंह (Hukum Singh) की बेटी मृगांका सिंह (Mriganka Singh) को चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी है तो सपा और आरएलडी ने नाहिद हसन (Nahid Hasan) को अपना उम्मीदवार बनाया है. तो चलिए समझते हैं कि क्या कहते हैं इस सीट के सियासी समीकरण.
क्या रहे हैं पुराने नतीजे
कैराना विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश के शामली जिले में आती है, 2017 के विधानसभा चुनाव में यहां कुल 47.26 फीसदी वोट पड़े थे. इस सियासी मुकाबले में नाहिद हसन ने भारतीय जनता पार्टी के मृगांका सिंह को 21 हजार 162 वोटों के मार्जिन से हराया था. वहीं विधानसभा सीट पिछले यानी 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले एक समुदाय के पलायन को लेकर चर्चा में आई थी. 2014 के उपचुनावों में नाहिद हसन ने बेहद करीबी मुकाबले में बीजेपी को हराया था. वहीं इससे पहले 2012 और 2007 के चुनावों में बीजेपी के हुकुम सिंह को जीत मिली थी.
इस बार कौन-कौन है मैदान में
सपा के नाहिद हसन और बीजेपी की मृगांका सिंह के अलावा चार निर्दलीय उम्मीदवारों सहित नौ अन्य उम्मीदवार मैदान में हैं. कैराना में पहले चरण में 10 फरवरी को मतदान होगा और मतगणना 10 मार्च को होगी. 10 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने और उनकी जांच करने का काम समाप्त हो गया है और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 27 जनवरी है.
नाहिद हुसैन गिरफ्तार
सपा के प्रत्याशी घोषित होने के बाद नाहिद हसन को एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. हसन पर उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत कैराना कोतवाली में दर्ज 2021 के एक मामले में 16 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. इस घटनाक्रम से ऐसी अटकले लगाई जा रही थीं कि सपा हसन की उम्मीदवारी को रद्द कर देगी और इसके बजाय उनकी बहन इकरा चौधरी को इस सीट से मैदान में उतारेगी. उनके हलफनामे में, इकरा ने घोषणा की है कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है और कृषि को अपनी आय का स्रोत बताया है. इकरा और नाहिद दोनों चौधरी मुनव्वर हसन की संतान हैं, जो कैराना से दो बार विधायक रहे और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से दो बार लोकसभा सांसद रहे. उनकी 2008 में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी.
पलायन का मुद्दा
साल 2013 में हुए दंगों के बाद शामली जिले का कैराना सुर्खियों में रहा था और 2014-2016 के दौरान कई हिंदू परिवारों के कैराना से कथित तौर पर पलायन करने की सूचना मिली थी. इसी मुद्दे को लेकर बीजेपी चुनाव में उतरी है, यहां तक कि खुद अमित शाह ने इस सीट से अपने चुनावी अभियान का आगाज किया था. 22 जनवरी 2022 को अमित शाह ने कैराना पहुंचकर पलायन से लौटे परिवारों से मुलाकात कर उन पर भरोसे का मरहम लगाया. वहीं दूसरी तरफ सपा और आरएलडी, पलायन को मुद्दा मानने से इनकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि जब बीजेपी के पास विकास का कोई काम नहीं है तो वह सिर्फ लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में चुनाव होंगे. यूपी में इन चरणों के तहत 10 फरवरी, 14 फरवरी, 20 फरवरी, 23 फरवरी, 27 फरवरी, 3 मार्च और 7 मार्च को मतदान होगा. 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आएंगे. साथ ही पहले चरण की शुरुआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों से होगी और धीरे-धीरे कारवां बढ़ते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश पर जाकर समाप्त होगा.
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