सत्यखबर, नरवाना (सन्दीप श्योरान) :-
गांव धरौदी व हाल आबाद प्रेम नगर वासी एक किसान परिवार में सत्यवान और कमलेश के घर जन्मी रिंपी आज किसी नाम की मोहताज नहीं हैं, क्योंकि रिंपी ने अपने खेल के दम पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। रिंपी ने हैंण्डबाल खेलने की प्रेरणा नवदीप स्टेडियम में हैंण्डबाल खिलाडिय़ों को खेलते हुए मिली। उसके मन में अन्य खिलाडिय़ों की तरह पदक लाने की ललक जागी। उसके बाद रिंपी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। स्कूली स्तर के खेलों में रिंपी ने शानदार खेल के दम पर टीम को सफलता दिलवाई और टीम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक लेकर गर्ई। रिंपी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जाने के लिए काफी अड़चनें आईं, जब नेपाल में आयोजित हैंडबाल प्रतियोगिता के फाइनल मैच में बांग्लादेश के खिलाफ खेलते हुए उसके घुटने में चोट लग गई। उस चोट के कारण रिंपी को एक साल अपने खेल से दूर रहना पड़ा। रिंपी को दोबारा मैदान में वापिस करवाने के लिए रिंपी के माता-पिता और कोच डॉ. जुगमिन्दर श्योकंद ने उसका हौंसला बढ़ाया और जिसकी बदौलत वह फिर से हैंडबाल टीम का हिस्सा बनी। रिंपी ने बताया कि हरियाणा की टीम का कप्तान बनने पर उसको काफी अच्छा लग रहा है और उसका सपना है कि उसके नेतृत्व में दिल्ली में आयोजित सीनियर राष्ट्रीय हैंडबाल प्रतियोगिता में टीम गोल्ड मैडल जीते। रिंपी ने बताया कि वह हैंडबाल खेल के अलावा फिलहाल कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में एमए राजनीति शास्त्र की विद्यार्थी है। उसका अगला लक्ष्य ओलंपिक खेलों में टीम को जितवाना है। उसने बताया कि इस मुकाम तक ले जाने में उसके पिता सत्यवान, मां कमलेश और कोच डॉ. जुगमिन्दर श्योकंद का सहयोग रहा है।
10 अंतर्राष्ट्रीय और 50 राष्ट्रीय प्रतियोगिता का हिस्सा बन चुकी है रिंपी
अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रिंपी ने बताया कि वह अपने 14 वर्ष के खेल के दौरान 50 से ज्यादा राष्ट्रीय प्रतियोगिता में खेल चुकी है और 10 अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता का हिस्सा बन चुकी है। उसने बताया कि वह साउथ और नेपाल में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 2 बार बेस्ट खिलाड़ी के अवार्ड से नवाजी जा चुकी है। उसने कहा कि उसका एक ही सपना है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नरवाना का नाम रोशन हो।
हैंडबाल के लिए रेलवे की नौकरी छोड़ी
रिंपी ने बताया कि उसका चयन रेलवे में टीटी के पद पर हो चुका था और उसको पोस्टिंग उत्तरप्रदेश में हो गई थी। लेकिन उसने यह नौकरी छोड़ दी। क्योंकि वह केवल हरियाणा की तरफ से खेलना चाहती थी। उसने कहा कि नौकरी तो वह कभी भी लग सकती है, लेकिन हैंडबाल के प्रति जुनून उसको नौकरी से दूर ले जाता है। उसने कहा कि वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पदक लाकर डीएसपी बनना चाहती हूं।
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