सत्यखबर चंडीगढ़
हरियाणा सरकार द्वारा गैर एफसीएस कर्मचारियों से आईएएस के पांच पदों की चयन प्रक्रिया में बोर्ड, निगम और विश्वविद्यालयों सहित अन्य स्वायत्त निकायों में कार्यरत कर्मचारियों को बाहर रखने को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। गत दिवस इस विषय पर कई अन्य याचिका भी दायर की गई। इस पर हाई कोर्ट की बेंच ने सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई का निर्णय लेते हुए मामला स्थगित कर दिया।
बीपीएस महिला विश्वविद्यालय सोनीपत के डॉ. अनिल बलहारा व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के फैसले को चुनौती दी है। याचिका में बताया गया कि 2018 की चयन सूची के लिए हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा 20 जून को आईएएस के पांच पदों को भरने का विज्ञापन जारी किया गया था। इस विज्ञापन में सभी बोर्ड, निगम और अन्य स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों को इस भर्ती से बाहर रखा गया। आवेदन पत्र ऑनलाइन जमा करने की अंतिम तिथि 28 जून थी।
इस संबंध में, हरियाणा सरकार ने 23 जून को एक पत्र जारी किया था जिसमें सभी विभागों के प्रशासनिक सचिवों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने और प्रपत्रों को पूरा करने और समयबद्ध तरीके से एचपीएससी को भेजने के लिए कहा था। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह विज्ञापन के तहत नए की भर्ती के लिए पूरी तरह से योग्य है लेकिन सरकार ने इस भर्ती में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को शामिल नहीं किया जिस कारण उसका आवेदन रद हो गया।
याचिकाकर्ता के अनुसार वह सरकार का कर्मचारी है, सरकारी फंड से उनको वेतन व अन्य सुविधा मिलती हैं ऐसे में उसको अयोग्य मानना सरकार का फैसला अनुचित व भेदभाव पूर्ण है।याचिकाकर्ता कहा कि गैर-राज्य सिविल सेवा के माध्यम से आईएएस के पद के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार का चयन करना एक अच्छी पहल है, लेकिन इसमें सभी को मौका मिलना चाहिए। याचिकाकर्ता ने हैरानी जताते हुए कहा कि राज्य के सरकारी कॉलेजों में काम करने वाले सहायक प्रोफेसर या शिक्षक इस पद के लिए आवेदन करने के पात्र हैं, जबकि राज्य में समान योग्यता और समान वेतनमान वाले विश्वविद्यालय शिक्षकों को बाहर रखा गया है।
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