हमारे देश में कई ऐसी पुरानी मान्यताएं सदियों से चली आ रही हैं, जिनके पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपे हुए हैं। लेकिन लोगों को उन तथ्यों की जानकारी नहीं है। वे बस किसी डर की वजह से उस मान्यता को मानते आ रहे हैं। ऐसी ही एक मान्यता है कढ़ाही में खाना खाने की। कहा जाता है कि कढ़ाही में खाना खाने वाले की शादी में बारिश होती। इस वजह से हमारे घर के बड़े बुजुर्ग बच्चों को कढ़ाही में खाना नहीं खाने देते। अगर हम जल्दबाजी में भी ऐसा कुछ कर लें तो घर के बड़ों से डांट खानी पड़ती है। नए जमाने के लोग बेशक इस बात को अंधविश्वास करार दें, लेकिन वास्तव में इस बात के पीछे भी वैज्ञानिक तथ्य छिपा है। तो चलिए आज आपको इसके बारे में बताते हैं।
जान लिजिए वजह
दरअसल पहले के समय में लोहे की कढ़ाही ही चलन में हुआ करती थी। उसे धोने के लिए उस वक्त में लिक्विड सोप और साबुन वगैरह नहीं होते थे। इस कारण उसे मिट्टी और पत्थर से रगडक़र धोया जाता था। ऐसे में कढ़ाही को साफ करना काफ ी मुश्किल होता था और धुलने के बाद भी उसमें हाईजीन को मेंटेन करना काफ ी मुश्किल हो जाता था। कई बार पत्थर से रगडऩे के बाद उसके कढ़ाई में जंग के निशान बन जाते थे। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए कढ़ाई में खाना खाने के लिए मना किया जाता था।
इसके अलावा एक अन्य वजह ये भी है कि कढ़ाई का इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जाता है। पहले के लोग जूठे और संकरे का काफ ी परहेज किया करते थे। ऐसे में खाना बनाने वाली चीज में वो खाना खाने को बहुत गलत मानते थे। पुराने लोग चीजों का इस्तेमाल उसी काम के लिए करना पसंद करते थे। जिस उद्देश्य के लिए उसे बनाया गया है। ऐसे में कढ़ाई में भोजन करना अशिष्टता से जोडक़र देखा जाता था। इन नियमों का लोग पालन करें। इसके लिए कुछ डराने वाली बातों से नियमों को जोड़ दिया जाता था। यही वजह है कि कढ़ाही में खाने खाने को लेकर बारिश की बात प्रचलित हो गई। अपनी शादी में बारिश के डर के चलते घर में बच्चे व युवा कढ़ाही में खाना नहीं खाते थे।
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