एक महीने से धंसे रोहतक रोड़ की जल्द से जल्द सुध लेकर लापरवाही में शामिल कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए
संगठन ने सीएम विंडो पर आधा दर्जन खामियों का भी किया है जिक्र, खामियों की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाने की कि है मांग
सत्य खबर जींद, महाबीर मित्तल: रोहतक रोड़ कई साल से लावारिस बन कर रह गया है। तीन साल से रोड़ वैसे ही बदहाल था और अब जब रोड बना तो बनते ही दर्जनों जगह से धंस गया। रोड को धंसे एक महीना हो चुका है लेकिन अभी तक प्रशासन ने इस रोड़ की कोई सुध नही ली है। अब तंग होकर जीन्द विकास संगठन के अध्यक्ष राजकुमार गोयल ने इस मामले में सीएम वीडो पर शिकायत लगाई है कि इस धंसी सडक की जल्द से जल्द सुध ली जाए और इस सड़क के धंसने में जितने भी विभागों के अधिकारियो और कर्मचारियों की लापरवाही रही है उन सब के खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई की जाए। इसके साथ साथ जीन्द विकास संगठन ने सीएम विंडो पर यह शिकायत भी की है कि सडक के मामले में आधा दर्जन से ज्यादा खामियां रही। इन सब खामियों की भी किस निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाई जाए। जीन्द विकास संगठन के अध्यक्ष राजकुमार गोयल ने सीएम विंडो पर इन खामियों का जिक्र करते हुए कहा कि एक खामी यह है कि रोहतक रोड़ पर डिवाईडर बीचों बीच नही बनाया गया। एक तरफ से एक मीटर ज्यादा बढ़ा दिया गया जो बडी खामी है। रोहतक रोड पर पहले जो सड़क थी वह 10 मीटर चौडी थी। डिवाईडर बनने की वजह से सड़क को 11 मीटर चौड़ा बना दिया गया। यह एक मीटर की अतिरिक्त सड़क आधा आधा मीटर दोनों तरफ से बढऩी थी लेकिन लापरवाही के चलते एक तरफ ही एक मीटर ज्यादा बढ़ा दिया गया। गोयल का कहना है की या तो डिवाईडर को बीचोंबीच बनवाया जाए या फिर डिवाईडर को हटा दिया जाए।
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गोयल ने सीएम विडों पर शिकायत करते हुए लिखा है कि दुसरी खामी यह है कि रोहतक रोड पर अमरूत योजना के तहत दोनो तरफ जो दर्जनों छोटे छोटे मैनहोल बनने थे वे प्रशासन ने बनाए ही नही। इन बिना मैनहोलों के कैसे सड़को का पानी 30 फुट गहरे दबे पाइपों में पहुंचेगा। जब प्रशासन को पता चला कि विधायकों का दौरा होना है जो जल्द बाजी में रातो रात एक दो जगह पर मैनहोल बना दिए गए। तीसरी खामी का जिक्र करते हुए गोयल ने सीएम विडों में लिखा है कि सीवरेज के जो मैनहोल थे उन्हें पीडब्लूडी ने सड़क बनाते हुए अन्दर ही दबा दिया। अब जब सड़के धंसनी शुरू हुई तब इन बडे बडे कारनामों का खुलासा हुआ। अन्य खामियों में एक बड़ी खामी यह भी है कि कई जगह पर सीवरेज के मैनहोल बनाए ही नहीं गए। चौथी खामी यह है कि जब 30 फुट गहरी अमरूत योजना दबी तब मौके पर अधिकारी निगरानी करते नजर नहीं आए। रात के अंधेरे में जेसीबी के ड्राइवर और दो चार मजदूर इस काम को अंजाम देते नजर आए। बिना टेक्निकल अधिकारियों के 30 फुट गहरी योजना इन मजदूरों और ड्राइवरों से कैसी बनी होगी। यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। पांचवी खामी यह है कि 30 फीट जमीन खोदने के बाद उसे भरते हुए अच्छे से नहीं दबाया गया। तीन तीन चार चार फीट पर लेयर को अच्छे से दबाया जाता तब जाकर 30 फीट गहरी खाई ठोस तरह से दब पाती। 30 फुट गहरी खाई को अच्छे से न दबाना भी सड़क धंसने का एक प्रमुख कारण है।
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