कृषि विशेषज्ञ की सलाह से ही करें जरूरी कीटनाश्कों का छिडक़ाव
सत्य खबर, जींद, महाबीर मित्तल: कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से कपास की खेती के लिए एक से 15 जून तक किसानों के लिए कुछ सुझाव जारी किए गए है। जींद कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुरेन्द्र मलिक ने जानकारी देते हुए बताया है कि जून माह के पहले सप्ताह में किसान भाई अपनी कपास की फसल की एक खोदी जरूर करें।
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उपनिदेशक ने बताया कि जिन स्थानों पर खुला पानी दिया जाता है वे किसान 4० से 45 दिन बाद पानी लगाएं तथा रेतीली मिट्टी वाले स्थानों पर रोज फव्वारे ना चलाकर 4 से 5 दिन बाद पानी लगाएं। टपका विधि द्वारा भी 3 से 4 दिन में पानी लगाएं। इसके अलावा कपास की फसल में मानसून की बरसात के बाद ही प्रति एकड़ के हिसाब से एक बैग यूरिया का ही छिडक़ाव किया जाए। उन्होंने बताय कि जड़ गलन रोग से प्रभावित पौधों के आस पास के स्वस्थ पौधों में कार्बेडाजिम 2 ग्राम प्रति लिटर का घोल बनाकर 4०० से 5०० मिलीलिटर जड़ों में डालें तथा बिमारी से सूखे हुए पौधों को उखाड़ दें ताकि बिमारी को आगे बढऩे से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि फसल पर लगातार निगरानी रखें तथा पत्ती मरोड़ रोग से प्रभावित पौधों को उखाडक़र जमीन में दबा दें।
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उपनिदेशक ने बताया कि आमतौर पर जून माह में कपास की फसल में थ्रिप्स या चूरड़ा का प्रकोप हो जाता है। इसलिए थ्रिप्स की संख्या 1० या अधिक प्रति पत्ता पहुंचने पर ही सिफारिश की गई कीटनाशकों का ही प्रयोग करें। इसके लिए किसी भी ज्यादा जहरीले कीटनाशक के मिश्रण का प्रयोग ना करें। आवश्यकता पडऩे पर पहले 2-3 स्पे्र के लिए नीम आधारित कीटनाशकों जैसे निम्बीसीडीन या अचूक की एक लीटर मात्रा को 15० से 2०० लीटर पानी प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। उन्होंने बताया कि किसान भाई कपास की खेती के साथ भिंडी की खेती ना करें इससे रस चूसने वाले कीड़ों की संख्या बढ़ती है।
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