सत्य खबर । गुरुग्राम
ट्रांसफर के साढ़े छह साल तक सरकारी आवास खाली नहीं करना एक असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी (एडीए) को महंगा पड़ गया। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) ने उसपर जुर्माना लगाकर 1.78 करोड़ रुपये का किराया बनाया है। साथ ही जस्टिस डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी व प्रॉसिक्यूशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर से अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।
भूमि अधिग्रहण विभाग में काम करने के दौरान एडीए जगबीर सहरावत को सेक्टर 15 पार्ट 2 में सरकारी आवास नंबर 19 अलॉट हुआ था। 30 दिसंबर, 2013 को उसका ट्रांसफर स्टेट विजिलेंस ब्यूरो में हो गया। ट्रांसफर के दो महीने के बाद सरकारी आवास खाली करना होता है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। एचएसवीपी के एस्टेट ऑफिस 1 की तरफ से इस अधिकारी को मकान खाली करने को लेकर नोटिस दिए गए, लेकिन उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
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दिसंबर, 2016 में तत्कालीन चीफ ऐडमिनिस्ट्रेटर ने आदेश दिया कि इस अधिकारी से पॉलिसी के मुताबिक, मार्केट रेट का 300 गुना किराया वसूला जाए। इसके बाद भी अधिकारी ने सरकारी आवास खाली नहीं किया।
गत 16 अक्टूबर को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नायब तहसीलदार करतार सिंह के नेतृत्व में एचएसवीपी की टीम इस सरकारी आवास को खाली करवाने पहुंचीं। सरकारी आवास पर ताला लगा था। ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने जब अधिकारी से बात की तो उसने कहा कि वह अवैध रूप से यहां नहीं रह रहा है। अगर घर का ताला तोड़ा गया तो चोरी की एफआईआर दर्ज करवाऊंगा।
अब ऐडमिनिस्ट्रेटर ऑफिस ने जस्टिस डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रटरी और प्रॉसिक्यूशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर से आग्रह किया कि एचएसवीपी पॉलिसी के मुताबिक इस अधिकारी पर सरकारी आवास का किराया 1 करोड़ 78 लाख 65 हजार रुपये बनता है, जो उससे वसूलकर एचएसवीपी में जमा करवाया जाए। इस अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की सिफारिश भी ऐडमिनिस्ट्रेटर की तरफ से की गई है।
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